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जिस CAA पर हुआ था इतना बवाल, अब केंद्र सरकार ऐसे करेगी लागू

नया नागरिकता कानून लोकसभा में 9 दिसंबर, 2019 को और राज्यसभा में 11 दिसंबर, 2019 को पास हुआ था. इसके बाद 12 दिसंबर को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी. इतने समय में गृह मंत्रालय की ओर से इस कानून पर शायद ही कुछ कहा गया हो.

Updated on: 29 May 2021, 08:48 AM

highlights

  • साल 2019 में संसद से पास हुआ था CAA बिल
  • 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मिली थी मंजूरी
  • CAA बिल पर देश में खूब बवाल मचा था

नई दिल्ली:

मोदी सरकार (Modi Government) ने साल 2019 में जब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू किया, तो देश के कई हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे. और इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच 2020 की शुरुआत में दिल्ली में काफी दंगे भी हुए थे. नागरिकता संशोधन कानून के अनुसार, पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और अफगानिस्तान (Afganistan) में दमन के शिकार ऐसे अल्पसंख्यकों गैर-मुस्लमों को नागरिकता (Citizenship for Minority) प्रदान की जाएगी जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे. अब केंद्रीय गृहमंत्रालय (Union Home Minister) ने इसे लागू करने का मन बना लिया है.

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ऐसे पास हुआ था नागरिकता संशोधन कानून

नया नागरिकता कानून लोकसभा में 9 दिसंबर 2019 को और राज्यसभा में 11 दिसंबर 2019 को पास हुआ था. इसके बाद 12 दिसंबर को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी. इतने समय में गृह मंत्रालय की ओर से इस कानून पर शायद ही कुछ कहा गया हो. हालांकि पश्चिम बंगाल और असम चुनाव में बीजेपी की ओर से इसे लागू करने का वादा जरूर किया गया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी चुनावों के दौरान रैलियों में इस कानून को लागू करने की बात कही थी. अब वे अपने इस वादे को निभाने जा रहे हैं, इसीलिए तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए और गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में निवास कर रहे हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध जैसे गैर मुस्लिमों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाए हैं. 

जानें क्या है गृह मंत्रालय की अधिसूचना?

गृह मंत्रालय की अधिसूचना में साफ कहा गया है कि नागरिकता कानून 1955 की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मोदी सरकार ने कानून की धारा 5 के तहत यह कदम उठाया है. इसके तहत उपरोक्त राज्यों और जिलों में रह रहे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए निर्देश दिया गया है.

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पुराने कानून के तहत ही दी जाएगी नागरिकता

इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है. नोटिफिकेशन में सिटिजनशिप एक्ट 1955 और 2009 में कानून के तहत बनाए गए नियमों के तहत आदेश के तुरंत पालन की बात कही गई है. भले ही 2019 में सरकार की ओर से पास किए गए सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (CAA) के तहत नियमों को अब तक तैयार नहीं किया गया है. लेकिन इन तीन देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के वादे पर सरकार अडिग है.