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सुषमा और सीतारमण की सलाह से राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर फैसले लेगी देश की सबसे ताकतवर कमेटी CCS

निर्मला सीतारमण को देश का रक्षा मंत्री बनाए जाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) के समीकरण को बदल कर रख दिया है।

Updated on: 03 Sep 2017, 07:20 PM

highlights

  • निर्मला सीतारमण को देश का रक्षा मंत्री बनाए जाने के बाद कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का बदला समीकरण
  • देश के सबसे सर्वाधिक शक्तिशाली समझे जाने वाले कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी में दो महिला मंत्रियों की राय अहम होगी

New Delhi:

निर्मला सीतारमण को देश का रक्षा मंत्री बनाए जाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) के समीकरण को बदल कर रख दिया है।

देश के राजनीतिक इतिहास में संभवतया यह पहली बार हुआ है, जब सबसे शक्तिशाली समझे जाने वाली कैबिनेट कमेटी में दो महिला मंत्री प्रधानमंत्री मोदी की सलाहकार की भूमिका में होंगी।

सीसीएस की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह देश की रक्षा और सुरक्षा से जुड़े फैसलों पर निर्णय लेने वाली समिति होती है, जिसमें अब सुषमा स्वराज और निर्मला सीतारमण की राय अहम होगी।

सीधे शब्दों में सीसीएस राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सभी अहम मामलों और देश के रक्षा खर्च के बारे में अंतिम फैसला लेने वाली समिति होती है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री के पास होती है। 

हालांकि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सभी अहम फैसलों के लिए इस समिति के चार सदस्यों पर निर्भर होते हैं, जिसमें रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, गृह मंत्री और विदेश मंत्री शामिल होते हैं।

मौजूदा सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब इन सभी अहम फैसलों के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह पर निर्भर होंगे। यह समिति कई महत्वपूर्ण नियुक्तियों पर भी मुहर लगाती है।

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राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में कोई भी निर्णय लेने के दौरान विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री की भूमिका ज्यादा अहम होती है। इस लिहाज से देखा जाए तो मौजूदा जियो-पॉलिटिकल स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी के लिए बतौर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की राय कहीं ज्यादा अहम होगी।

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने की रही है।

विपक्षी दल मोदी सरकार की पाकिस्तान नीति को सबसे अधिक कमजोर और लचर नीति बताकर हमला करते रहे हैं। पिछले साल कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद न केवल सीजफायर की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।

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बल्कि पाकिस्तान की तरफ से होने वाली घुसपैठ और आतंकी हमलों में भी जबरदस्त तेजी आई है।

पाकिस्तान न केवल भारत के लिए सुरक्षा के लिहाज से खतरा बना हुआ है बल्कि दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैलाने में उसकी बड़ी भूमिका रही है।

वहीं वैश्विक मंच पर वह चीन की सरपरस्ती में कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की लगातार कोशिश करता रहा है। हालांकि सुषमा स्वराज की रणनीति क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की कूटनीति पर भारी पड़ती रही है।

बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का काम शानदार रहा है और वह वैश्विक मंच पर भारत की कूटनीति को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सफल रही है।

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बतौर कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर, शानदार काम करने की वजह से पीएम मोदी ने निर्मला सीतारमण पर भरोसा जताया है।

सीतारमण ने ऐसे समय में रक्षा मंत्री की कमान संभाली है, जब देश के समझ रक्षा चुनौतियां पिछली सरकारों के मुकाबले कहीं अधिक बड़ी और जटिल है।

1962 की लड़ाई के बाद पहली बार भारतीय सेना, चीन के सामने करीब 70 से अधिक दिनों तक डटी रही। डोकलाम विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच छोटे स्तर के युद्ध तक की आशंका जताई जाने लगी थी।

हालांकि बाद में दोनों देशों ने सिक्किम सेक्टर से अपनी-अपनी सेना को हटाने का फैसला लिया। तात्कालिक तौर पर भले ही इस विवाद का समाधान हो गया हो लेकिन भारत और चीन के सीमा को लेकर स्पष्ट स्थिति नहीं होने की वजह से भविष्य में भी ऐसे गतिरोध की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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मौजूदा वैश्विक परिस्थिति में भारत तेजी से सुस्त पड़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच तेजी से तरक्की करने वाले अर्थव्यवस्था की तरह उभरा है।

एशिया में भारत और चीन वैश्विक अर्थव्यवस्था का ड्राइवर बने हुए हैं। सुपर पावर बनने की जमीन आर्थिक ताकत से तय होती है, और भारत इस मामले में चीन को तेजी से टक्कर दे रहा है, जिसकी परिणति सैन्य गतिरोध के रुप में सामने आती रही है।

इन परिस्थितियों में तेजी से आर्थिक शक्ति के रूप में उभरते भारत के लिए घरेलू चुनौतियों के साथ-साथ से कहीं अधिक अहम रणनीतिक चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों में विशेषकर राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से जुड़े मुद्दों से निपटने में सुषमा स्वराज और निर्मला सीतारमण की भूमिका बेहद अहम साबित होने जा रही है।

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