तनाव के बीच पंजाब सीमा पर पहुंचा न्यूज नेशन, लागों ने एक सुर में कहा हर कीमत पर देंगे सेना का साथ
भारत-पाकिस्तान में बढ़ते तनाव के बीच न्यूज़ नेशन की टीम ने पंजाब के सीमावर्ती जिले, फिरोजपुर के हुसैनीवाले बॉर्डर के गांवों का दौरा किया.
नई दिल्ली:
भारत-पाकिस्तान में बढ़ते तनाव के बीच न्यूज़ नेशन की टीम ने पंजाब के सीमावर्ती जिले, फिरोजपुर के हुसैनीवाले बॉर्डर के गांवों का दौरा किया. यह गांव पाकिस्तान की सीमा से महज 100 मीटर की दूरी पर है. यहां से ना सिर्फ पाकिस्तान पोस्ट की लाइट साथ नजर आती है बल्कि पाकिस्तान और हिंदुस्तान के गांव के बीच सिर्फ सतलुज नदी है. हमने सीमावर्ती गांव पकड़ा, टिंडावाली ,कोलुआना का दौरा देर रात किया जहां लोगों देशभक्ति से ओतप्रोत दिखे और साफ कर दिया किअगर भारत-पाकिस्तान के बीच जंग होती है तो भी वह अपना गांव खाली करके नहीं जाएंगे, वह भारतीय सेना के साथ सरहद पर डटे रहेंगे.
वहीं कुछ लोगों का कहना था कि भले ही बॉर्डर के दोनों तरफ करीब 48 साल से एक भी गोली नहीं चली हो लेकिन, 1965 और 1971 की जंग में यह बॉर्डर युद्ध में सबसे एक्टिव बॉर्डर में से रहा था. 1965 के जंग में जहां पाकिस्तानी टैंकों का भारतीय मराठा लाइट इन्फेंट्री ने रोक दिया था वही 71 में पाकिस्तानी सेना ने भगत सिंह की समाधि को काफी नुकसान पहुंचाया था. हमने इन गांव में रहने वाले बुजुर्ग महिला से भी बात की जिन्होंने 1965 और 1971 की जंग का आंखों देखा हाल हमें सुनाया. 65 की जंग में इस महिला के पिता की मौत पाकिस्तानी गोली से हो गई थी जब वह होमगार्ड के जवान थे. वहीं 71 की जंग में इस बुजुर्ग ने अपने बेटे को गवा दिया था, फिर भी यह बुजुर्ग महिला ना गांव छोड़ने को तैयार है ना मन में पाकिस्तान से कोई डर.
युवाओं की एक पीड़ी ऐसी भी है जिसने कभी हिंदुस्तान पाकिस्तान के बीच जंग नहीं देखी. जिन्हें भारत के बीएसएफ और सेना पर पूरा भरोसा है, और जो अपने युवा जोश के साथ बिना डरे पाकिस्तान से लोहा लेने का दम भरते हैं. सीमावर्ती गांव वालों से बीएसएफ के अधिकारियों की मुलाकात भी हुई है ग्रामीणों की माने तो बीएसएफ के अधिकारियों ने साफ कह दिया है कि जब तक वह बॉर्डर पर है ,उन्हें गांव खाली करने की कोई जरूरत नहीं है ,लेकिन अगर बीएसएफ की जगह भारतीय सेना को अग्रिम पोस्ट पर भेजा जाता है, तब गांव खाली करने की नौबत आ सकती है.
फिलहाल फिरोजपुर से लगी हुई पाकिस्तानी सीमा पर कोई भी तनाव नजर नहीं आता और ना ही ग्रामीणों को पीछे हटने के लिए कहा गया है. गांव वाले कल सुबह भी अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या की तरह खेती के लिए बॉर्डर के बेहद करीब जाने वाले हैं.
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