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अफगानिस्तान की मदद केवल दिखावा नहीं

अफगानिस्तान की मदद केवल दिखावा नहीं

Updated on: 17 Aug 2021, 11:45 PM

बीजिंग:

हाल ही में अफगानिस्तान की राजनीति में बड़ा परिवर्तन हुआ, जिसने विभिन्न पक्षों की नजर खींची है। इस रिपोर्ट में हम बार-बार अफगानिस्तान में अराजकता के पीछे छिपे निर्माता यानी अमेरिका की आलोचना नहीं करना चाहते। क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा उसकी बहुत निंदा की जा रही है। भले ही आप उसके साथ तर्क करें, फिर भी वह अन्य देशों के मानवाधिकारों के लिये अपने आधिपत्य को नहीं छोड़ेगा। वर्तमान में अफगान लोगों को शांति प्राप्त करने और अपनी मातृभूमि के पुनर्निर्माण में कैसे मदद की जाए, यह सबसे महत्वपूर्ण बात है।

अफगानिस्तान के अच्छे पड़ोसी देश के रूप में चीन हमेशा अफगान जनता को देश की संप्रभुता, स्वतंत्रता और प्रादेशिक अखंडता की रक्षा करने में समर्थन देता है, और उन्हें अपने देश के भाग्य को अपने हाथों से नियंत्रित करने का प्रोत्साहन भी देता है। चीन निरंतर इस सिद्धांत का पालन करता है कि अफगान लोग अफगानिस्तान के मालिक हैं, और अफगानिस्तान के अंदरूनी मामलों का अफगान लोगों को ही प्रबंध करना चाहिये। साथ ही चीन लगातार अफगान मामले के राजनीतिक समाधान के लिये रचनात्मक भूमिका अदा कर रहा है।

अगर आप राजनीतिक खबरों पर ध्यान देते हैं, तो आसानी से यह देखा जा सकता है कि हर बार जब चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अफगान मामले की चर्चा करते हैं, तो उनके मुंह से निकला सबसे अधिक वाक्य यह है कि चीन अफगान जनता के अपनी इच्छा से अपने भाग्य व भविष्य का निर्धारण करने का सम्मान करता है। ऐसा क्यों?क्योंकि चीन जनता के मानवाधिकारों का सम्मान करता है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय आत्मनिर्णय अधिकार संयुक्त राष्ट्र चार्टर में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत होने के साथ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून में एक बुनियादी मानवाधिकार भी है।

इसके अलावा चीन अफगान जनता के अस्तित्व और विकास के अधिकारों पर भी बड़ा ध्यान देता है। क्योंकि गरीब और पिछड़े देशों के प्रति ये दोनों अधिकार अन्य सभी मानवाधिकारों को प्राप्त करने की पूर्व शर्त है। इसलिये चीन अकसर चुपचाप अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देता है, और उन्हें ये दोनों बुनियादी अधिकारों को प्राप्त करने में मदद देता है।

वर्ष 1963 में चीन ने अफगानिस्तान को आर्थिक सहायता शुरू की। और जल्द ही चीन अफगानिस्तान को सहायता देने वाले मुख्य देशों में से एक बन गया। वर्ष 1964 में चीन ने अफगानिस्तान को 2 करोड़ 85 लाख डॉलर का ऋण प्रदान किया। जिसका प्रयोग मुख्य रूप से टेक्सटाइल, कागज और अन्य औद्योगिक परियोजनाओं में निवेश के लिए किया जाता है। वर्ष 1965 में चीन व अफगानिस्तान ने दोनों के बीच आर्थिक व तकनीकी सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते के अनुसार चीन ने अफगानिस्तान को एक करोड़ पाउंड का दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया। जिसका उपयोग जल संरक्षण सिंचाई परियोजना, टेक्सटाइल कारखाने, कंधार अस्पताल और अन्य कार्यक्रमों के निर्माण में सहायता के लिए किया गया। उक्त कार्यक्रमों ने उसी समय अच्छा सामाजिक और आर्थिक लाभ पैदा किया, और स्थानीय लोगों को लाभ पहुंचाया। आज भी अफगान लोग इस बात को याद रखते हैं।

वर्ष 2001 के बाद चीन सरकार ने अफगानिस्तान के परिपक्व कर्ज को रद्द किया। साथ ही चीन ने काबुल गणराज्य अस्पताल, परवांग जल संरक्षण मरम्मत परियोजना, अफगान राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा केंद्र और काबुल विश्वविद्यालय के चीनी विभाग के शिक्षण भवन समेत जन जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के निर्माण में अफगानिस्तान को 1 अरब 52 करोड़ युआन की निशुल्क सहायता दी। इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान, चीन ने न केवल अफगानिस्तान को मुआवजे के बिना बड़ी मात्रा में धन, प्रौद्योगिकी, उपकरण और अन्य आवश्यक हार्डवेयर प्रदान किए, बल्कि इसे क्षमता निर्माण प्रशिक्षण जैसे सॉफ्टवेयर समर्थन भी प्रदान किया। इस अवधि के दौरान, चीन ने कई अल्पकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम खोले और अफगानिस्तान के लिए राजनयिक प्रशिक्षण, सरकारी वित्त और वित्तीय प्रबंधन, परियोजना अनुबंध प्रबंधन, अस्पताल प्रबंधन और बिजनेस प्रबंधन आदि क्षेत्रों में लगभग 800 अधिकारियों और इंजीनियरिंग व तकनीकी विशेषज्ञों को प्रशिक्षित किया।

चीन में एक कहावत है कि एक साथ खुश रहने से अकेले खुश रहने की अपेक्षा ज्यादा खुशी मिलती है। चीन अपना विकास साकार करने के साथ अन्य पड़ोसी देशों तक यह खुशी भी पहुंचाना चाहता है। चीन अपनी वास्तविक कार्रवाई से अफगानिस्तान को सुन्दर मातृभूमि के पुनर्निर्माण में सहायता दे रहा है।

(चंद्रिमा- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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