राज्य सभा सांसदों के निलंबन पर बोले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी - इन सांसदों को व्यक्तिगत तौर पर मांगनी चाहिए माफी
राज्य सभा सांसदों के निलंबन पर बोले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी - इन सांसदों को व्यक्तिगत तौर पर मांगनी चाहिए माफी
नई दिल्ली:
राज्य सभा में हंगामा करने वाले 12 सासंदों के निलंबन पर विरोधी दलों के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि हंगामे के मामले पर जांच करने , सजा का निर्धारण करने और भविष्य में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को होने से रोकने के लिए ही सरकार ने कमेटी बनाने का सुझाव दिया था लेकिन विरोधी दलों ने यह मौका गंवा दिया।इन 12 सासंदों के निलंबन की वापसी के बारे में आईएएनएस द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार हर तरह के प्रस्ताव के लिए तैयार है लेकिन हंगामा करने वाले इन सभी सांसदों को व्यक्तिगत रूप से माफी मांगनी चाहिए।
विरोधी दलों द्वारा टारगेट करने के आरोपों पर जवाब देते हुए प्रहलाद जोशी ने कहा कि इस तरह के आरोप निराधार है , टारगेट करने जैसी कोई बात नहीं है। पिछले मानसून सत्र में 11 अगस्त को जो दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी , उसकी वजह से यह फैसला लेना पड़ा। उन्होने इन सांसदों पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले मानसून सत्र में पहले दिन से ही ये सदन की कार्यवाही में व्यवधान डाल रहे थे और सदन को सुचारू रूप से नहीं चलने दे रहे थे। लेकिन 11 अगस्त को तो इन्होने सारी सीमाएं ही लांघ दी। मार्शल के साथ हाथापाई करने की कोशिश की, सुरक्षा घेरे को तोड़ने का प्रयास किया। टीवी स्क्रीन को उठा कर फेंकने की कोशिश की, बड़ी-बड़ी किताबें उठा कर फेंकने लगे और टेबल पर चढ़कर नाचने लगे।
निलंबन से पहले सांसदों को सफाई देने का मौका नहीं देने के विरोधी दलों के आरोप पर आईएएनएस से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नियमों के अनुसार इस तरह की घटना में सफाई देने का मौका देने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होने कहा कि अगर प्रस्ताव 256 के तहत , सदन इस तरह की कार्रवाई को मंजूर कर लेता है तो फिर सफाई देने की कोई जरूरत नहीं रह जाती है। हालांकि इसके साथ ही उन्होने यह भी कहा कि 11 अगस्त को जो कुछ भी हुआ वो सब रिकॉर्ड में है , टीवी क्लिपिंग्स में है और इस मामले की जांच करने के लिए सरकार ने कमेटी बनाने का प्रस्ताव भी विरोधी दलों को दिया था। सपा, बसपा, वाईएसआरसीपी और बीजेडी इसके लिए तैयार भी हो गए थे लेकिन कांग्रेस , टीएमसी और डीएमके ने सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।
दरअसल , शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन कांग्रेस , टीएमसी , शिवसेना, सीपीएम और सीपीआई के 12 सांसदों को पिछले मानसूत्र सत्र में 11 अगस्त को हंगामा करने के आरोप में इस पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है।
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