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पूर्व शिक्षा मंत्री निशंक को वर्ष 2022 का राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान

पूर्व शिक्षा मंत्री निशंक को वर्ष 2022 का राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान

Updated on: 05 Aug 2022, 01:50 AM

नई दिल्ली:

नवीनतम बीए पाठ्यक्रम में पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री व कवि डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की देशप्रेम की कविताओं को स्थान दिया गया है। इसके साथ ही विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में भी उनकी कविताएं पढ़ाई जा रही हैं। निशंक के साहित्य पर अनेक शोधार्थी पीएचडी कर रहे हैं और कई शोधार्थी पीएचडी कर चुके हैं। साहित्य क्षेत्र में इस श्रेष्ठ योगदान के लिए उनको वर्ष 2022 का राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान दिया गया है।

निशंक को वर्ष 2022 का राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान दिया गया है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के नाम पर स्थापित इस साहित्य सम्मान के लिए प्रति वर्ष देश के साहित्यकारों में से एक साहित्यकार का चयन किया जाता है।

अब तक बुन्देली कथा साहित्य की चितेरी लेखिका मैत्रेयी पुष्पा, पाठालोचन एवं संत साहित्य के अध्येता डॉ. कन्हैया सिंह, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी के पूर्व कुलपति और प्रख्यात समीक्षक, नाटककार प्रो. सुरेन्द्र दुबे, संत साहित्य के मर्मज्ञ प्रो. नंदकिशोर पाण्डेय तथा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्रख्यात समीक्षक प्रो. सदानंदप्रसाद गुप्त जी को यह सम्मान दिया जा चुका है।

निशंक के अब तक 15 कविता संग्रह, 17 कहानी संग्रह, 12 उपन्यास, 4 व्यक्तित्व विकास की पुस्तकें, 7 यात्रा वृत्तान्त, 4 पर्यटन ग्रंथ, 3 डायरियां और संस्मरण, 6 बाल साहित्य, 3 धर्म एवं संस्कृति पर आधारित साहित्य और 5 जीवनियां प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी राष्ट्रभक्तिपरक कविताओं की प्रशंसा भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने भी की थी और पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने निशंक को हिमवंत का राष्ट्रीय कवि कहकर संबोधित किया था।

पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, प्रतिभा पाटील, प्रणव मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन तथा प्रख्यात साहित्यकार प्रो. रामदरश मिश्र, अशोक चक्रधर और अंग्रेजी लेखक रस्किन बॉन्ड भी उनके साहित्यिक योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा कर चुके हैं।

डॉ निशंक ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त को श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ निशंक ने इस अवसर पर राष्ट्रकवि के साहित्य,पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा आदि एवं उनके जीवन के विषय में चर्चा की। डॉ निशंक कहा कि राष्ट्रकवि का जीवन दर्शन और उनका साहित्य देश के युवाओं एवं सभी लेखकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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