नरम हुआ नेपाल का रुख, कहा बातचीत से सुलझाएंगे सीमा विवाद

कालापानी और लिपुलेख को नक्शे में शामिल करने के बाद पैदा हुए सीमा विवाद के बीच नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने बताया कि भारत से हमारे करीबी रिश्ते हैं. ग्यावली ने कहा कि नेपाल का भारत के साथ विशिष्ट व करीबी रिश्ता है.

कालापानी और लिपुलेख को नक्शे में शामिल करने के बाद पैदा हुए सीमा विवाद के बीच नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने बताया कि भारत से हमारे करीबी रिश्ते हैं. ग्यावली ने कहा कि नेपाल का भारत के साथ विशिष्ट व करीबी रिश्ता है.

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Yogendra Mishra
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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली.( Photo Credit : फाइल फोटो)

कालापानी और लिपुलेख को नक्शे में शामिल करने के बाद पैदा हुए सीमा विवाद के बीच नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने बताया कि भारत से हमारे करीबी रिश्ते हैं. ग्यावली ने कहा कि नेपाल का भारत के साथ विशिष्ट व करीबी रिश्ता है. लिपुलेख पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार को विश्वास है कि कालापानी का मुद्दा बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा. विदेश मंत्री के इस बयान के बाद नेपाल के नरम रुक को भी समझा जा सकता है.

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ग्यावसी ने अंग्रेजी अखबार 'रिपब्लिका' को दिए क इंटरव्यू में कहा कि 'हमने हमेशा कहा है कि इस मुद्दे के सामाधा का एकमात्र तरीका अच्छी भावना के साथ बातचीत करना है. बिना किसी आवेग या अनावश्यक उत्साह और पूर्वाग्रह के साथ नेपाल बातचीत के जरिए सीमा विवाद सुलझाना चाहता है. हमें विश्वास है कि द्विपक्षीय बातचीत से यह मुद्दा सुलझ सकता है.' हालांकि उन्होंने लिंपियाधुरा और लिपुलेख का जिक्र नहीं किया. जिस पर नेपाल अपना दावा ठोंकता है.

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आपको बता दें कि नेपाल और भारत के रिश्तों में तनाव देखने मिल रहा है. यह तनाव तब शुरू हुआ जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराकंड में लिपुलेख पास को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था.

नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रक्रिया देते हुए दावा किया था कि यह नेपाल की सीमा से होकर जाती है. जबकि भारत ने जवाब में कहा था कि सड़क उसकी सीमा में है. जिसके बाद नेपाल ने बुधवार को संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी किया था. इस नक्से में लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को उसके भू-भाग में दर्शाया गया था. इस पर भारत ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि नेपाल अपने भू-भाग के दावे को अनावश्यक हवा न दे. मानचित्रों के जरिए गैरन्यायोचित दावे करने से भी नेपाल को बचना चाहिए.

2015 में भी हुई थी आपत्ति

ग्यावली ने कहा कि 'भारतीय पक्ष भी बेहद चिंतित है और इस मुद्दे के समाधान की जिम्मेदारी को समझता है.' एक अन्य सवाल के जवाब में ग्यावली ने कहा कि हमने नेपाली जमीन को बिना हमारी इजाजत इस्तेमाल करने के द्विपक्षीय समझौते पर आपत्ति जताई थी. 2015 में भारत और चीन ने सड़क खोलने का फैसला लिया था तब भी हमने इसका विरोध किया था. ग्यावली ने कहा कि भारत ने 2 नवंबर 2019 को नया राजनीतिक नक्शा प्रकाशित कर नेपालीी जमीन को अपने नक्शे में दिखाया था तब भी हमने इस बात का विरोध किया था.

Source : News Nation Bureau

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