वजन घटाने शिवाजी स्टेडियम गए थे नीरज, भाला फेंककर सभी को चौंकाया
क्या आप जानते हैं कि नीरज शुरूआत में केवल वजन कम करने के लिए खेलों के क्षेत्र में आए थे? आइए इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं कि नीरज ने भाला फेंक (Javelin Throw) कब और कैसे शुरू किया.
highlights
- वजन कम करने के लिए खेलों के क्षेत्र में आए थे नीरज
- भाला फेंककर शिवाजी स्टेडियम में लोगों को चौंकाया
- 90 मीटर दूर भाला फेंकने का लक्ष्य
नई दिल्ली:
किसान परिवार से संबंध रखने वाले नीरज चोपड़ा ने आज भारत को भाला फेंक (Javelin Throw) में स्वर्ण पदक दिला दिया है. आज पूरा विश्व उनके बारे में जानना चाह रहा है. हर कोई आज ये पता लगाने में लगा हुआ है कि नीरज चोपड़ा क्या डाइट लेते हैं, कौन-सी कसरत करते हैं, उन्होंने भाला फेंक (Javelin Throw) की ट्रेनिंग कब शुरू की और उनका भाला फेंक (Javelin Throw) की ओर झुकाव कैसे हुआ? लेकिन क्या आप जानते हैं कि नीरज शुरूआत में केवल वजन कम करने के लिए खेलों के क्षेत्र में आए थे? आइए इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं कि नीरज ने भाला फेंक (Javelin Throw) कब और कैसे शुरू किया.
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वजन घटाने गए नीरज ने शिवाजी स्टेडियम में भाला फेंककर सभी को चौंकाया
शुरूआत में नीरज चोपड़ा जब पहली बार शिवाजी स्टेडियम गए थे, तो उस दौरान उनके चाचा सुरेंद्र चोपड़ा उनके साथ थे. नीरज के कोच जितेंद्र ने बताया कि उस दौरान नीरज को केवल उनका वजन कम करना था. जिसके चलते उस समय लगभग 6 महीने तक नीरज को सारे खेल खिलाए गए. उस दौरान नीरज दौड़ने में काफी धीमें थे. इसके अलावा लंबी छलांग, ऊंची छलांग व अन्य कई खेल खिलाए गए. लेकिन जब पहली बार नीरज के हाथ में बांस का भाला दिया गया, तब जो हुआ, उससे हर कोई हैरत में पड़ गया. इस दौरान वहां अलग ही मंजर था. हो भी क्यों न? नीरज चोपड़ा ने पहली ही बार में भाले को 25 मीटर दूर फेंक दिया. वहां मौजूद सभी लोगों को तभी समझ में आ गया कि नीरज सिर्फ और सिर्फ इसी खेल के लिए बना है. इसके बाद नीरज के चाचा भीम और सुरेंद्र ने हमेशा नीरज को इस खेल के लिए प्रोत्साहित किया और साथ ही साथ इस खेल के प्रति उनके जज्बे को बढ़ावा भी दिया.
भाला फेंकने का ये सफर जो शिवाजी स्टेडियम से शुरू हुआ था, वह ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद भी ज़ारी है. लेकिन इस उपलब्धि के पीछे नीरज की कड़ी मेहनत और लगन शामिल थी. साथ ही ओलंपिक में खेलने और जीतने का नीरज का सपना हमेशा बरकरार रहा.
भाला फेंकने की नई-नई तकनीकों को सीखने में लगे रहे
ओलंपिक में खेलने के जुनून के साथ नीरज लगातार भाला फेंक (Javellin Throw) की ट्रेनिंग लेते रहे और इस क्षेत्र में नई-नई तकनीक सीखते रहे. शिवाजी स्टेडियम में ट्रेनिंग के दौरान ही नीरज ने उछलकर भाला फेंकने की तकनीक को सीख लिया था. उनकी ट्रेनिंग के दौरान उनके शरीर को इतना लचीला बनाया गया कि अब वह भाले को ज्यादा दूर तक फेंकने के लिए अपने हाथों के साथ-साथ उछलने के लिए पैरों का प्रयोग भी कर सकें. इस कला में भी वह अब काफी माहिर हो गए थे.
नीरज ने भारतीय सेना 2016 में ज्वाइन की थी. इससे पहले नीरज के पास तैयारी के लिए पूरे उपकरण नहीं होते थे, लेकिन भारतीय सेना में सूबेदार होने के बाद उनकी तैयारी में काफी सुधार हुआ. जिससे उन्होंने 2016 में ही वर्ल्ड यू-2020 में पहला अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीत लिया. नीरज की दाईं कोहनी में चोट आ गई थी, जिससे उबरने के बाद ही नीरज ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था. उस दौरान चोट की वजह से नीरज कई महीनों तक खेल से दूर रहे, लेकिन चोट से उबरने के बाद नीरज ने दमदार वापसी की. इस दौरान नीरज ने साउथ अफ्रीका में आयोजित एथलेटिक्स सेंट्रल नार्थ ईस्ट मीट में 87.86 मीटर भाला फेंक कर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया. इससे पहले कोहनी में चोट की वजह से छह महीने उनका अभ्यास नहीं हो सका था. कोहनी की सर्जरी कराने के बाद नीरज ने डॉ. क्लाउस से ट्रेनिंग लेने का विकल्प चुना था. कोविड की वजह से भी नीरज के अभ्यास में कई मुश्किलें आईं, लेकिन उन सभी मुश्किलों का सामना करते हुए, नीरज ने अपनी ट्रेनिंग जारी रखी और ओलंपिक में देश को स्वर्ण पदक दिलाकर ही राहत की सांस ली.
90 मीटर दूर भाला फेंकने का लक्ष्य
भाला फेंक में विश्वविजेता बन चुके नीरज को अभी तक पूरी संतुष्टि नहीं मिली है. नीरज का कहना है कि वह 90 मीटर दूर भाले को फेंकना चाहते थे और इसके लिए वे अभी अपने प्रयासों को जारी रखेंगे.
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