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वोट के बदले नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, SC ने सांसद विधायकों को नहीं दी छूट

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों और विधायकों को पैसा लेकर वोट देने या सदन में बोलने के मामले में मुकदमा न चलाने से इनकार कर दिया.

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Suhel Khan
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Supreme Court

Supreme Court ( Photo Credit : Social Media)

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों और विधायकों को वोट के लिए रिश्वत लेने के मामले में सोमवार को अपना फैसला सुनाया. इसमें शीर्ष कोर्ट ने पहले वाले अपने ही फैसले को पलट दिया. बता दें कि पिछले फैसले में उच्चतम न्यायालय ने माननीयों को वोट के बदले नोट के मामले में मुकदमे से छूट देने का फैसला सुनाया था. 1998 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसके लिए जनप्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.

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बता दें कि ये पूरा मामला सांसद या विधायकों के रिश्वत लेकर वोट या सदन में भाषण देने से जुड़ा हुआ है. इस मामले में अब तक माननीयों पर केस चलाने का प्रावधान नहीं था, लेकिन 4 मार्च को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब उन्हें इस मामले में मुकदमा चलाने की छूट नहीं मिलेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा

मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया. इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा संविधान पीठ में जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस एम एम सुंदरेश, जस्टिस पी एस नरसिम्हा, जस्टिस जेपी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं. फैसले में शीर्ष कोर्ट ने कहा कि, इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि घूस लेने वाले ने घूस देने वाले के मुताबिक वोट दिया या नहीं. कोर्ट ने कहा कि माननीयों के पास विषेधाधिकार सदन के साझा कामकाज से जुड़े विषय के लिए है और वोट के लिए रिश्वत लेना विधायी काम का हिस्सा नहीं है.

सीता सोरेन पर पड़ेगा इस फैसले का असर

इस मामले की सुनवाई के दौरान एससी ने 1998 का नरसिंह राव फैसला पलट दिया. मामले में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 7 जजों की बेंच ने साझा फैसला सुनाया. इस फैसला का सीधा असर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की सीता सोरेन पर पड़ेगा. उन्होंने विधायक रहते हुए रिश्वत लेकर 2012 के राज्यसभा चुनाव में वोट डाला था और इस मामले में उन्होंने राहत की मांग की थी.

बता दें कि सांसदों को अनुच्छेद 105(2) और विधायकों को 194(2) के तहत सदन के अंदर की गतिविधि के लिए मुकदमे से छूट प्राप्त है. लेकिन 4 मार्च 2024 को सुनाए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ कर दिया कि रिश्वत लेने के मामले में यह छूट नहीं मिल सकती है.

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अपमानजनक बयानबाजी पर क्या बोला शीर्ष कोर्ट

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान संसद या विधानसभा में अपमानजनक बयानबाजी को अपराध मानने के प्रस्ताव पर चर्चा की. इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि सांसदों-विधायकों द्वारा सदन में अपमानजनक बयानबाजी को कानून से छूट नहीं मिलनी चाहिए. जिससे ऐसा करने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जा सके. हालांकि शीर्ष कोर्ट ने सदन में बयानबाजी को अपराध मानने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सदन के भीतर कुछ भी बोलने पर सांसदों-विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती. सदन के भीतर माननीयों को पूरी आजादी है.

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Source : News Nation Bureau

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