हर भारतीय का डीएनए है एक, संघ की शाखाओं में शामिल हों मुस्लिम
झारखंड दौरे के दौरान उन्होंने मुसलमानों को संघ की शाखाओं में आने का न्योता दिया. यही नहीं, उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के लिए खासतौर पर संदेश दिया कि संघ को महिलाओं से भी कतई परहेज नहीं है.
highlights
- भारतीय मुसलमान किसी अरब देश से नहीं आए
- हम सभी का डीएनए, संस्कार और पूर्वज एक ही
- मोहन भागवत की मुस्लिमों का भ्रम दूर करने की पहल
धनबाद:
अगले साल आसन्न पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों और उसके बाद 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी चुनावी मोड में आ गया है. खुद मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने इसकी कमान संभाल ली है औऱ मुस्लिमों को जोड़ने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत शुरू कर दी है. बीते दिनों ही उन्होंने मुंबई में मुस्लिम (Muslims) बुद्धिजीवियों से मुलाकात कर बीजेपी शासन में मुसलमानों को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की. अब इस कड़ी में झारखंड दौरे के दौरान उन्होंने मुसलमानों को संघ की शाखाओं में आने का न्योता दिया. यही नहीं, उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के लिए खासतौर पर संदेश दिया कि संघ को महिलाओं से भी कतई परहेज नहीं है.
भारत एक हिंदू राष्ट्र मुसलमान अरब देशों से नहीं आए
संघ प्रमुख तीन दिवसीय दौरे पर धनबाद में थे. अपने दौरे के अंतिम दिन मोहन भागवत ने राजकीय विद्यामंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की. बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि बदले माहौल में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सकती हैं. तीन दशक पहले से यह बात लगातार कही जा रही है. ऐसे में मुस्लिम भाई-बहन संघ की शाखाओं में आएं. इससे वह समझ सकेंगे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार क्या हैं और वह किस तरह काम करता है. हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र और इसके लिए किसी प्रमाण की कोई जरूरत नहीं है. भारत में रहने वाले मुस्लिम किसी अरब देश से नहीं आए हैं, बल्कि यहीं के हैं. सभी के पूर्वज हिंदू ही थे और हम सभी का डीएनए एक है. हमारे संस्कार अलग हैं.
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भारतीय मुसलमानों के संस्कार पूरी तरह से भारतीय
संस्कार वाली बात को समझाने के लिए मोहन भागवत ने एक उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा कि सिर्फ भारतीय मुसलमान ही ईद-मिलाद-उन-नबी मनाते हैं. यह पैगंबर साहब के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. दुनिया में अन्य कहीं के मुसलमान यह नहीं मनाते. वजह यह कि उनका संस्कार अलग है और भारतीय मुसलमानों का संस्कार पूरी तरह भारतीय हैं, तभी तो जिस तरह हम अपने महापुरुषों के जन्मदिन और पुण्यतिथि मनाते हैं, उसी तरह वे भी मनाते हैं. इसके साथ ही मोहन भागवत ने कोरोना वैक्सीन को लेकर चल रही भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा कि यह भविष्य के भारत के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि तीसरी लहर को लेकर भी सचेत रहना चाहिए. स्वयंसेवक मास्क, सैनिटाइजर और शारीरिक दूरी का हमेशा ध्यान रखें. यह नियम सभी पर लागू होता है.
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