विपक्षी दलों की बैठक में बोलीं सोनिया गांधी- मोदी सरकार के पास लॉकडाउन को लेकर कोई रणनीति नहीं
कांग्रेस समेत देश के 22 विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में चक्रवात अम्फान से हुए जानमाल के भारी नुकसान पर दुख जताते हुए शुक्रवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इसे तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दोनों राज्यों की मदद की जाए.
दिल्ली:
कांग्रेस समेत देश के 22 विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में चक्रवात अम्फान से हुए जानमाल के भारी नुकसान पर दुख जताते हुए शुक्रवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इसे तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दोनों राज्यों की मदद की जाए. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई विपक्षी दलों की बैठक में ‘अम्फान’ के कारण मारे गए लोगों की याद में कुछ पल के लिए मौन रखा गया.
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कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लॉकडाउन से बाहर आने के लिए सरकार के पास कोई रणनीति न होने का दावा करते हुए कहा कि कोरोना वायरस संकट के इस समय भी सारी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक सीमित हैं. बैठक में उन्होंने कहा कि संघवाद की भावना को इस सरकार में भूला दिया गया है और विपक्ष की मांगों को भी अनसुना कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध को 21 दिनों में जीतने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुरुआती आशा सही साबित नहीं हुई. ऐसा लगता है कि कोविड-19 वायरस दवा बनने तक मौजूद रहने वाला है. मेरा यह भी मानना है कि लॉकडाउन के मापदंडों को लेकर मोदी सरकार निश्चित नहीं थी. इससे बाहर निकलने की उसके पास कोई रणनीति भी नहीं है.
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान करने और फिर पांच दिनों तक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से इसका ब्यौरा रखे जाने के बाद यह एक क्रूर मजाक साबित हुआ. हम मांग कर चुकी हैं कि गरीबों के खातों में पैसे डाले जाएं, मुफ्त राशन दिया जाए और घर जाने वाले प्रवासी श्रमिकों को बस एवं ट्रेनों की सुविधाएं दी जाए. कर्मचारियों एवं नियोजकों की सुरक्षा के लिए वेतन सहायत कोष बनाया जाए, लेकिन सरकार ने हमारी मांगों को अनसुना कर दिया है.
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इन पार्टियों ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि देश के लोग कोविड-19 का मुकाबला करते हुए अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उसी दौरान चक्रवात अम्फान का आना दोहरा झटका और लोगों को भावनाओं को तोड़ने वाला है. उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि दोनों राज्यों के लोगों को सरकारों एवं देशवासियों से तत्काल मदद और एकजुटता की जरूरत है. विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार से आग्रह करती हैं कि इसे तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए और फिर इसी के मुताबिक राज्यों को मदद दी जाए.
विपक्षी दलों ने कहा कि फिलहाल राहत और पुनर्वास सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. परंतु इस आपदा के परिणामस्वरूप कई दूसरी बीमारियां पैदा होने की आशंका को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, इसलिए हम केंद्र सकार का आह्वान करते हैं कि वह दोनों राज्यों के लोगों की मदद करे. विपक्ष की बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे समेत 22 दलों के नेता शामिल हुए.
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