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भारत में भी सोशल मीडिया पर लगाम लगाने की तैयारी, बन रहे नये नियम

केंद्र सरकार इस संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार कर रही है. इस ड्राफ्ट में सोशल मीडिया, स्ट्रीमिंग और ओटीटी प्लेटफॉर्म समेत न्यूज संबंधित वेबसाइट्स के लिए नियम तय किए गए हैं.

Updated on: 19 Feb 2021, 11:02 AM

highlights

  • सोशल मीडिया पर नकेल के लिए आईटी एक्ट इंटरमीडियटरी रुल्स 2021
  • 36 घंटे में हटाना होगा आपत्तिजनक या गैर-कानूनी कंटेंट
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति करेंगे

नई दिल्ली:

नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) फेसबुक और ट्विटर सरीखे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कंटेंट शेयरिंग के लिहाज से नियंत्रण में रखने के लिए आईटी कानून (IT Law) के तहत नए दिशा-निर्देशों का मसौदा तैयार कर रही है. खासकर ऑस्ट्रेलिया (Australia) में फेसबुक (Facebook) और गूगल से रार के बीच इस बाबत सरकार ने अपने प्रयासों में तेजी ला दी है. इसके साथ ही देश के जिडिटल मीडिया को भी एक नियामक संस्था के तहत लाया जाएगा. यानी ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अब सरकार की बात माननी पड़ेगी और सरकार के कहने पर उन्हें कंटेट हटाना भी पड़ेगा.

केंद्र सरकार तैयार करा रही ड्राफ्ट
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार इस संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार कर रही है. इस ड्राफ्ट में सोशल मीडिया, स्ट्रीमिंग और ओटीटी  प्लेटफॉर्म समेत न्यूज संबंधित वेबसाइट्स के लिए नियम तय किए गए हैं. एक रिपोर्ट के मुकाबित इस ड्राफ्ट में नए नियम के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी. यह अधिकारी 24 घंटे लॉ-इंफोर्समेंट (कानून प्रवर्तन) एजेंसियों के निदेर्शों का जवाब देगा और इसकी रेगुलर रिपोर्ट भी सब्मिट करेगा. इसके अलावा सरकार आईटी एक्ट के सेक्शन 79 में संशोधन भी कर रही है और सोशल मीडिया पर नकेल कसने के लिए आईटी एक्ट इंटरमीडियटरी रुल्स 2021 भी लाएगी. सरकार चाहती है कि सोशल मीडिया कंपनियां नफरत फैलाने वाले कंटेंट को हटाने के संबंध में अधिक संवेदनशील हों.

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36 घंटे में हटाना होगा आपत्तिजनक-गैर कानूनी कंटेंट
ड्राफ्ट के अनुसार सरकार कहेगी तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपने कंटेंट को 36 घंटे में हटाना होगा और सरकार के कहने पर इस मामले में 72 घंटे में इन्हें कार्रवाई भी करनी होगी. साथ ही भड़काऊ मैसेज भेजने वाले की जानकारी भी सरकार को देनी होगी. गौरतलब है कि आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल ही में फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा कि अगर सोशल मीडिया का इस्तेमाल भारत में झूठी खबरें फैलाने और हिंसा या वैमनस्य को बढ़ावा देने में किया जाता है, तो उनके खिलाफ सख्ती की जाएगी.

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सोशल मीडिया कंपनियों को करने होंगे ये काम
नये नियम 2011 में लागू किए गए नियम की जगह लेंगे. इसके साथ ही ये कंपनियां अपने यूजर्स को समय-समय पर नियम के अनुपालन के बारे में जानकारी देने के लिए बाध्य होंगी. ये कंपिनयां अपने यूजर्स से प्राइवेसी पॉलिसी पर सहमत होने के लिए भी कहेंगी. संशोधित नियम में यह भी प्रावधान होगा कि ये कंपनियां कुछ ऐसे ऑटोमेटेड टूल्स को तैनात करें जो तत्परता से गैर-कानूनी जानकारी या कंटेंट को हटा सकें या लोगों तक इनकी पहुंच को कम कर सकें.

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सरकार मांग सकती है गैर-कानूनी कंटेंट के सोर्स की जानकारी
इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि सरकार इन कंपनियों से इस तरह के गैर-कानूनी कंटेंट के सोर्स के बारे में भी जानकारी मांग सकती है ताकि ऐसे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. वर्तमान में, व्हॉट्सऐप जैसी कंपनियां लगातार इस तरह की जानकारी देने से मना करती रही हैं. इन कंपनियों का कहना है कि उनक प्लेटफॉर्म पर कम्युनिकेशंस एंड-टू-एड इन​क्रिप्टेड हैं, इसलिए वो गैर-कानूनी कंटेंट के सोर्स के बारे में नहीं पता लगा सकती हैं.

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कई देशों में पहले से ही लागू हैं ऐसे नियम
इस तरह के कानून की जानकारी रखने वालों का कहना है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी 36 घंटे के अंदर गैर-कानूनी कंटेंट को हटाने का प्रावधान शामिल है. कई पश्चिमी देशों में ऐसे नियम पहले से ही लागू हैं. आईटी एक्ट के सेक्शन के 79 के तहत इंटरमीडियरीज गाइडलाइंस को एक ऐसे समय संशोधित किया जा रहा है, जब सरकार के अंदर ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर गैर-कानूनी कंटेंट बढ़ाने को लेकर चिंता है.