Advertisment

मोदी सरकार ड्रग तस्करी पर गंभीर, सिम्स का गठन कर 26 देशों से समझौता

आतंकवाद से निपटने के लिए मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) की तर्ज पर गृह मंत्रालय ने ड्रग्स तस्करी पर प्रभावी रोक लगाने के लिए नार्को कोआर्डिनेशन सेंटर (एनकोर्ड) बनाया है.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
Shaheen Bagh drug case

मुंदड़ा पोर्ट से पकड़े गए थे भारी मात्रा में नशीले पदार्थ.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान राज की वापसी से पाकिस्तान (Pakistan) भारत को दहलाने के लिए आतंकियों की नई खेप तो तैयार कर ही रहा है. साथ ही सीमा पार से मादक पदार्थों (Drugs) की तस्करी को भी बढ़ावा दे रहा है. अडानी पोर्ट के अलावा जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में सीमा पार से आए ड्रग्स की बरामदगी के बाद केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) भी चौकन्नी हो गई है. यहां तक कि गृह मंत्रालय आतंकवाद की तर्ज पर ड्रग्स तस्करी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की प्रणाली तैयार करने की कोशिशों में है. इस कड़ी में आतंकवाद से निपटने के लिए मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) की तर्ज पर गृह मंत्रालय ने ड्रग्स तस्करी पर प्रभावी रोक लगाने के लिए नार्को कोआर्डिनेशन सेंटर (एनकोर्ड) बनाया है. इसके साथ ही ड्रग्स के बड़े मामलों की उच्च स्तरीय निगरानी के लिए सिम्स (सीजर इन्फार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम) भी बनाया गया है. दूसरे देशों में फैले तस्करों के रैकेट के खिलाफ कार्रवाई के लिए 26 देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते किए जा चुके हैं. 

ड्रग्स से जुड़ी सूचनाओं का रियल टाइम आदान-प्रदान
गृह मंत्रालय से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और निगरानी प्रणाली ड्रग्स तस्करी का पता लगाने में कारगर साबित हो रही है. माना जा रहा है कि इसकी मदद से आतंकी गतिविधियों की तरह ड्रग्स तस्करी पर भी नकेल कसने में कामयाबी मिलेगी. जानकार बताते हैं कि एनकोर्ड का गठन 2016 में ही कर दिया गया था, लेकिन 2019 में इसका विस्तार जिला स्तर तक किया गया. इसके तहत जिला से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स तस्करी के हर मामले में एजेंसियों के बीच सूचना का रियल टाइम आदान-प्रदान सुनिश्चित किया जाता है. इस कारण एक जिले में मिली सूचना के आधार पर देश के किसी भी हिस्से में ड्रग्स तस्करों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है.

यह भी पढ़ेंः LAC पर भारतीय सेना से खौफजदा चीनी सैनिकों ने बदला पेट्रोलिंग तरीका

सिम्स ई-पोर्टल से रखी जा रही है नजर
कोरोना के कारण 2020 और 2021 के शुरुआती छह महीने में एनकोर्ड को कुछ रुकावटों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब यह पूरी तरह काम कर रहा है. पूरे देश में बड़े पैमाने पर ड्रग्स की बरामदगी को इसकी सफलता के रूप में देखा जा रहा है. इसके पहले ड्रग्स तस्करी से निपटने की जिम्मेदारी सिर्फ नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की थी, लेकिन यह अधिकार डीआरआई, बीएसएफ, एसएसबी, कोस्ट गार्ड, आरपीएफ और एनआईए को भी दे दिया गया है. इनके बीच समन्वय के लिए 2019 में एक कमेटी का गठन किया गया, जिसका अध्यक्ष एनसीबी के महानिदेशक को बनाया गया है. एडीपीएस कानून के तहत आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई में अन्य एजेंसियों के पास अनुभव नहीं होने के कारण सिम्स (सीजर इन्फार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम) के नाम से ई-पोर्टल भी तैयार किया गया है. ड्रग्स तस्करी के हर मामले की इस पोर्टल पर जानकारी उपलब्ध होती है और उनमें हो रही कार्रवाई की एनसीबी निगरानी करता है.

HIGHLIGHTS

  • ड्रग्स की उच्च स्तरीय निगरानी के लिए सिम्स बनाया गया
  • ड्रग्स तस्करी के हर मामले की पोर्टल पर जानकारी उपलब्ध
  • 2016 में गठित एनकोर्ड का 2019 में किया गया है विस्तार 
अफगानिस्तान ड्रग्स ड्रग्स तस्करी भारत afghanistan jammu-kashmir मोदी सरकार Modi Government Pact SIMS पाकिस्तान Drug Smuggling Drugs pakistan मादक पदार्थ
Advertisment
Advertisment
Advertisment