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LAC पर भारतीय सेना से खौफजदा चीनी सैनिकों ने बदला पेट्रोलिंग तरीका

मोदी सरकार (Modi Government) वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के अपने इलाके में आधुनिक सड़कों का निर्माण कर रही है, बल्कि ऊंचाई वाले विवादास्पद इलाके में भारतीय सौनिकों और अन्य सैन्य साज-ओ-सामान भी तैनात कर रही है.

Updated on: 04 Oct 2021, 06:50 AM

highlights

  • अब चीनी सैनिक गाड़ियों में बैठ कर रहे हैं एलएसी पर पेट्रोलिंग
  • बीते साल हिंसक संघर्ष की यादों से बुरी तरह खौफजदा हैं चीनी
  • भारत की रणनीति से चीन को रीइनफोर्समेंट में आएगी दिक्कत

नई दिल्ली:

चीन (China) की एक कदम आगे और दो कदम पीछे वाली नीति के चलते भारत-चीन के बीच सीमा गतिरोध (Border Dispute) खत्म नहीं हो पा रहा है. सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बीच चीन उकसावेपूर्ण कार्रवाई कर बनती बात बिगाड़ देता है. इसके बावजूद तुर्रा यह है कि शांति बहाली के लिए ड्रैगन भारत (India) को जिम्मेदार ठहरा रहा है. ऐसे में शठे शाठ्यम समाचरेत वाली नीति को अंगीकार करते हुए भारत ने भी चीन को जबाव देने की ठानी है. इसके तहत न सिर्फ मोदी सरकार (Modi Government) वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के अपने इलाके में आधुनिक सड़कों का निर्माण कर रही है, बल्कि ऊंचाई वाले विवादास्पद इलाके में भारतीय सौनिकों और अन्य सैन्य साज-ओ-सामान भी तैनात कर रही है. ऐसे में भारत के इस आक्रामक रुख ने ड्रैगन को हिला कर रख दिया है. 

चीनी सैनिक बार-बार कर रहे घुसपैठ
जानकारों के मुताबिक पिछले महीने भी चीनी सेनाएं तुन-जुन ला पास को पार कर भारतीय इलाके में पेट्रोलिंग करते हुए 4 से 5 किलोमीटर तक अंदर आ पहुंची थीं. तुन-जुन ला का इलाका एलएसी माना जाता है. भारतीय सीमा में घुसपैठ करने वाले आक्रामक चीनी सैनिकों की संख्या 100 के करीब थी, जो इससे पहले 20 से 25 तक ही सीमित रहती थी. बताते हैं कि चीन की इतनी बड़ी संख्या में पेट्रोलिंग करने के पीछे बड़ी वजह ये है कि 17 महीने पहले पूर्वी लद्दाख में चीन के दुस्साहस का जवाब भारतीय सेना ने जिस आक्रामकता से दिया उससे उसकी पीएलए सेना में खौफ छा गया है. चीनी सैन्य अधिकारियों को लगता है कि अगर फिर से कोई संघर्ष हुआ तो उसकी 20 से 25 की छोटी संख्या वाले पेट्रोलिंग पार्टी को ज्यादा खतरा है.

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भारतीय सेना की रणनीति से चीन को रीइनफोर्समेंट में आएगी दिक्कत
सामरिक जानकारों के मुताबिक सेंट्रल सेक्टर के बाराहोती और तुनजु ला पास से सेना और आईटीबीपी की रिमखिम पोस्ट महज आठ किलोमीटर दूर है. ऐसे में भारतीय सेना की नजर पूरे एलएसी पर है. इसी इलाके में चीन की पोस्ट एलएसी से 30 से 35 किलोमीटर दूर है. ऐसे में अगर सीमा विवाद संघर्ष में तब्दील होता है तो चीनी पोस्ट को रीइनफोर्समेंट जल्दी मिलना मुश्किल है. यह अलग बात है कि चीन ने तुनजु ला पास तक सड़क तैयार की हुई है, लेकिन तुरंत चीनी सेना का पहुंचना संभव नहीं होगा और उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है. ऐसे में चीन ने अपनी पेट्रोलिंग शैली बदल दी है. सूत्रों की मानें तो चीनी सेना अब ज्यादा से ज्यादा गाड़ियों के जरिए ही पेट्रोलिंग करती है. 

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सर्दियों में चीन कर सकता है नापाक कोशिशें
जानकार बताते हैं कि अब सर्दियां आने वाली हैं, जिसके मद्देनजर चीन की नापाक हरकतें बढ़ सकती है. ऐसे में खुद थलसेना प्रमुख जन एम एम नरवणे ने अपने लद्दाख में अग्रिम इलाके के दौरे के बाद ये बयान दिया था कि चीन ने अपनी सेना की संख्या में इजाफा किया है और भारतीय सेना ने भी उसी के हिसाब से अपनी सेना तैनात कर रखी है. इस बीच चीनी विदेश मंत्रालय के बयान के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी. इसके साथ ही थलसेना प्रमुख ने उम्मीद जताई है कि दोनों देशों के कोर कमांडरों के बीच 13वीं दौर की बातचीत अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में संभावित है. विवाद हल करने के कूटनीतिक और सैन्य प्रयासों के बीच बीते 17 महीनों से भारतीय सेना पूरी एलएसी पर डटी हुई है. जाहिर है ड्रैगन ने अगर कोई उकसावे वाली हरकत तो उसे माकूल जवाब मिलना तय है.