अंततः किसानों के आगे झुकी मोदी सरकार, तीनों कृषि कानून लिए वापस
मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से कहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में भी कोई कमी रह गई थी. हम अपनी बात कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए.
highlights
- पीएम मोदी ने देशवासियों से मांगी क्षमा
- भले के लिए लाए थे तीनों कृषि कानून
- कुछ किसानों को लेकिन समझा नहीं पाए
नई दिल्ली:
कोरोना काल में देश के नाम 11वें संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के चल रहे धरना-प्रदर्शन के आगे झुकते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि किसानों की स्थिति सुधारने के लिए ही 3 कृषि कानून लाए गए थे. मकसद था कि किसानों को और ताकत मिले. हालांकि लगता है कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई. पीएम मोदी ने कहा कि यह अलग बात है कि हम किसानों को समझा नहीं सके. ऐसे में अब कृषि कानून वापस लेने के बाद किसान खेतों की ओर वापस लौट जाएं. उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को शुरू करेंगे.
सरकार की उपज खरीद ने रिकॉर्ड तोड़े
राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने कहा हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए गए हैं. देश की 1000 से ज्यादा मंडियों को ई नाम योजना से जोड़कर हमने किसानों को कहीं पर भी अपनी उपज बेचने का एक प्लेटफॉर्म दिया. कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण पर करोड़ों खर्च किए. देश का कृषि बजट पहले के मुकाबले 5 गुना बढ़ गया है. हर वर्ष सवा लाख करोड़ कृषि पर खर्च किया जा रहा है. सरकार सेवाभाव से किसानों के लिए काम कर रही है.
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देशवासियों से मांगी क्षमा
उन्होंने कहा कि मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से कहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में भी कोई कमी रह गई थी. हम अपनी बात कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए. आज गुरु नानक जी का प्रकाश पर्व है. आज मैं पूरे देश को ये बताने आया हूं, हम 3 कृषि कानूनों को वापस करने का निर्णय लेते हैं. हम संसद की शीतकालीन सत्र में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया को शुरू करेंगे. पीएम ने कहा कि जो किया किसानों के लिए किया. आप सभी के लिए मैंने मेहनत में कोई कमी नहीं की. मैं और ज्यादा मेहनत करूंगा ताकि आपके सपने साकार हों.
सरकार देश हित में किसानों के साथ
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार देश के हित में, किसानों के हित में, कृषि के हित में, किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से ये कानून लेकर आई थी, लेकिन इतनी पवित्र बात पूर्ण रूप से किसानों के हित की बात हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए. कृषि अर्थशास्त्रियों ने किसानों को कृषि कानूनों को समझाने का पूरा प्रयास किया. हमने भी किसानों को समझाने की कोशिश की. हर माध्यम से बातचीत भी लगातार होती रही. किसानों को कानून को जिन प्रावधानों पर दिक्कत था, उसे सरकार बदलने को भी तैयार हो गई. दो साल तक सरकार इस कानून को रोकने पर तैयार हो गई.
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किसानों की समस्याओं को नजदीक से देखा
अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि मैंने पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में किसानों की समस्याओं और चुनौतियों को काफी करीब से देखा है. जब देश ने 2014 में मुझे सेवा करना का मौका दिया तो हमने कृषि कल्याण को प्राथमिकता दी. छोटी सी जमीन के सहारे छोटे किसान अपना और अपना परिवारों का गुजारा करते हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों में होने वाला बंटवारा इसे और छोटा कर रहा है. छोटे किसान की चुनौतियों को कम करने के लिए बीज, बीमा, बाजार और बजत पर चौतरफा काम किया है.
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