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Vaccination को गति देने विदेशी टीकों के लोकल ट्रायल का नियम खत्म

नियमों में किए गए बदलाव के बाद फाइज़र, जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना के कोरोना टीकों के लिए रास्ता खुल सकेगा.

Updated on: 28 May 2021, 06:33 AM

highlights

  • महज 3 फीसदी की आबादी को लग सका है कोरोना रोधी टीका
  • ऐसे में टीकाकरण को रफ्तार देने मोदी सरकार का अहम फैसला
  • फाइज़र, जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना वैक्सीन का रास्ता खुला

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Corona Virus) टीकाकरण को लेकर लगातार विपक्ष के निशाने पर आ रही मोदी सरकार (Modi Government) ने एक अहम फैसला लिया है. अब भारत सरकार ने विदेशों में निर्मित लेकिन अच्छी तरह से स्थापित कोविड-19 रोधी के लिए रास्ता खोलते हुए लोकल ट्रायल का नियम खत्म कर दिया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक केंद्र सरकार ने यह फैसला राष्ट्रव्यापी टीकाकरण (Vaccination) की गति बढ़ाने के लिए किया है. खासकर ऐसे समय जब कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने बड़े पैमाने पर कहर बरपाया है और तीसरी लहर आने की आशंका भी विशेषज्ञ जता रहे हैं.

अभी तक महज 3 फीसदी आबादी को लगा है कोविड-19 टीका
इसके साथ ही 1 मई से 18 से अधिक वय वालों के लिए टीकाकरण की शुरुआत की दी गई है. इस आयु वर्ग में वैक्सीनेशन के लिए करोड़ों की संख्या में रजिस्ट्रेशन हुए हैं. ऐसी स्थिति में जल्द बहुत बड़ी संख्या में वैक्सीन डोज की जरूरत है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश में अब तक 3 प्रतिशत जनसंख्या को दोनों डोज दिया जा चुका है. अब तक 20 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं जिनमें एक डोज वालों की संख्या ज्यादा है.

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फाइज़र, जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना वैक्सीन के लिए रास्ता खुला
सरकार द्वारा नियमों में किए गए बदलाव के बाद फाइज़र, जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना के कोरोना टीकों के लिए रास्ता खुल सकेगा. हाल में सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइज़र अपनी वैक्सीन के पांच करोड़ डोज भारत देने को तैयार है. कंपनी का कहना है कि वो इतने डोज इस साल दे सकती है. हालांकि कंपनी ने कुछ रेगुलेटरी रिलैक्सेशन की मांग भी की है जिनमें क्षतिपूर्ति के नियम भी शामिल हैं. वहीं मॉडर्ना ने कहा है कि साल 2022 में भारत में अपनी सिंगल शॉट वैक्सीन लांच कर सकती है. इसके लिए भारत में सिप्ला और फार्मा कंपनियों के साथ बातचीत की जा रही है. पांच करोड़ डोज की सप्लाई को लेकर बातचीत चल रही है.

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कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक के लग रहे टीके
गौरतलब है कि भारत में 16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हुआ था, जिसमें अब तक सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का इस्तेमाल ही हो रहा है. अब इसमें रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी को भी जोड़ दिया गया है. स्पूतनिक का भारत में ट्रायल भी हुआ है. देश में इससे पहले तक उन्हीं वैक्सीन को अनुमति दी जा रही थी जिन्होंने भारत में कोई ट्रायल किया हो. लेकिन अब वैक्सीन की बढ़ती मांग को देखते हुए नियम बदल दिए गए हैं.