एमपी और यूपी के बीच हुआ हुआ केन बेतवा लिंक समझौता, पानी का संकट होता खत्म
विश्व जल दिवस (World Water Day) के अवसर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में केन बेतवा लिंक परियोजना को लागू करने के लिए ऐतिहासिक Memorandum of Agreement पर साइन किया गया.
highlights
- केन बेतवा लिंक परियोजना को लागू करने के समझौते पर हुए हस्ताक्षर
- बुंदेलखंड के इलाके को मिलेगा योजना का सबसे अधिक लाभ
- 22 मार्च से 30 नवंबर तक चलाया जाएगा अभियान
नई दिल्ली:
विश्व जल दिवस (World Water Day) के अवसर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) की मौजूदगी में केन बेतवा लिंक परियोजना को लागू करने के लिए ऐतिहासिक Memorandum of Agreement पर साइन किया गया. इस समझौते में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री साइन करेंगे. नदियों को जोड़ने के संदर्भ को लेकर यह पहला अभियान है. यह समझौता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विजन से प्रभावित हैं. जिसमें जहां की नदियों में ज्यादा पानी है उससे कम पानी और सूखा प्रभावित इलाकों में पानी लाया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैच द रेन अभियान भी लांच किया. इस अभियान का थीम वेयर इट फॉल्स, वैन इट फॉल्स होगा.
इस परियोजना में दाउधन बांध बनाकर केन से बेतवा नदी तक पानी लाया जाएगा. वहीं दोनों नदियों के बीच एक नहर भी बनाया जाएगा. इसमें Lower ORR प्रोजेक्ट भी है जिसमें कोथा बैराज और बीणा कॉम्पलेक्स का बहुउ्द्देशीय प्रोजेक्ट हैं. जिससे सालाना करीब 10.62 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी. वहीं 62 लाख लोगों को पीने के पानी के साथ 103 मेगावट हाइड्रोपावर भी पैदा किया जाएगा.
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बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए बुहत खास है यह प्रोजेक्ट
केन-बेतवा लिंक परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उस सपने को साकार करेगी जिसमें नदियों में आने वाले अतिरिक्त पानी को 'नदी जोड़ो परियोजना' के तहत सूखे या कम पानी वाले इलाकों में पहुंचाया जाना था. यह परियोजना जल संकट झेल रहे बुंदेलखंड के लिए किसी उपहार से कम नहीं है. इस परियोजना में मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन जिले कवर होंगे तो उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले इसके अंतर्गत आएंगे.
जानिए क्या है केन बेतवा लिंक परियोजना?
राष्ट्रीय नदी विकास एजेंसी (National River Development Agency) द्वारा देश में प्रस्तावित 30 नदी जोड़ो परियोजनाओं में एक केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट भी है. इसकी अनुमानित लागत लगभग 45000 करोड़ है, जिसका 90 प्रतिशत केन्द्र सरकार वहन करेगी. इसमें मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र शामिल है. इस प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश की केन नदी और उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी को लिंक किया जाएगा. केन्द्र सरकार पूरे देश में सिंचाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ऐसे कुल 30 प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट पर करीब 45 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा.
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क्या होगा इस प्रोजेक्ट से फायदा
केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट की मदद से सरकार सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की समस्या दूर करने की योजना बना रही है. बुंदेलखंड क्षेत्र यूपी और एमपी में फैला हुआ है. इसके तहत मुख्य तौर पर यूपी के झांसी, बांदा, ललितपुर और महोबा जिले आते हैं. वहीं एमपी के टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर जिले बुंदेलखंड क्षेत्र में आते हैं. केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट की मदद से बुंदेलखंड में सिंचाई, पीने के पानी की कमी दूर हो सकेगी.
ये है विवाद
इस प्रोजेक्ट का जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है, उसके मुताबिक एमपी को 2650 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना है. वहीं यूपी को 1700 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना है. हालांकि यूपी सरकार की तरफ से 935 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की और मांग की गई थी. जिससे एमपी ने इंकार कर दिया था. इसी के चलते यह प्रोजेक्ट अटक गया था. इसके अलावा इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर भी चिंता जाहिर की जा रही है. केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है. केन-बेतवा इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट के चलते पन्ना टाइगर रिजर्व का कुछ हिस्सा पानी में डूब जाएगा, जिससे यहां रहने वाले टाइगर्स को नुकसान होगा.
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