मेहुल चोकसी को कानूनी कार्रवाई का पहले से अंदेशा था, मिटा दिए थे सबूत- CBI
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) के खिलाफ एक चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें भगोड़े कारोबारी द्वारा मामले में सबूत नष्ट किए जाने की बात कही गई है.
highlights
- मेहुल चोकसी के खिलाफ चार्जशीट
- CBI ने पिछले हफ्ते चार्जशीट दाखिल की
- मेहुल चोकसी पर सबूत मिटाने के आरोप
नई दिल्ली:
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने भगोड़े भारतीय व्यवसायी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) के खिलाफ एक चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें भगोड़े कारोबारी द्वारा मामले में सबूत नष्ट किए जाने की बात कही गई है. सीबीआई ने चोकसी और उसकी कंपनी गीतांजलि जेम्स समेत 21 लोगों के खिलाफ यह चार्जशीट पिछले हफ्ते मुंबई की एक विशेष अदालत में दाखिल की. सीबीआई का दावा है कि जब मेहुल चोकसी ने देश छोड़ा था, इसके एक महीने बाद उसकी कंपनी गीतांजलि जेम्स के आवेदन को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के एक अधिकारी की मिलीभगत से गायब करने के इरादे से हटा दिया गया था.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चार्जशीट में सीबीआई ने दावा किया है कि मार्च-अप्रैल 2017 में पीएनबी के कर्मचारियों ने 165 धोखाधड़ी वाले लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी किए जाने के बाद सभी मूल आवेदन गीतांजलि समूह की कंपनियों को वापस कर दिए गए थे, जबकि यह आवेदन बैंक के पास होने चाहिए थे. इन आवेदनों के साथ दस्तावेज भी चोकसी के एक कर्मचारी के परिसर से बरामद हुए थे. इन दस्तावेजों को यहां से गायब करने का मकसद था. चार्जशीट में सीबीआई ने कहा है कि मेहुल चोकसी की कंपनियों ने कथित रूप से लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग और फॉरेन लेटर्स ऑफ क्रेडिट का इस्तेमाल करके पीएनबी से 6,344.96 करोड़ रुपये हासिल किए थे.
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सीबीआई ने चार्जशीट में दावा किया कि चोकसी को उसके खिलाफ जारी कानूनी कार्रवाई के बारे में पहले से जानकारी थी. चोकसी ने दिसंबर 2017 में हांगकांग का दौरा किया था. वह अपनी आपूर्तिकर्ता संस्थाओं के डमी निदेशकों से मिला और उन्हें भारत में गीतांजलि समूह की स्थिति के बारे में बताया था. चार्जशीट में सीबीआई ने बताया कि चोकसी को इस बात का भी अंदेशा था कि उसे प्रवर्तन निदेशालय की जांच का सामना करना पड़ सकता है. गौरतलब है कि पीएनबी की शिकायत में आरोप लगाए गए थे कि मेहुल चोकसी 4 जनवरी 2018 को देश छोड़कर चला गया था. धोखाधड़ी की शिकायत फरवरी में दर्ज कराई गई थी.
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