कोर्ट की सुनवाई पर नहीं रोकी जा सकती मीडिया कवरेज, चुनाव आयोग से सुप्रीम कोर्ट ने कहा

मद्रास हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणियों के खिलाफ चुनाव आयोग की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि कोर्ट की सुनवाई (मौखिक टिप्पणियों) की रिपोर्टिंग से मीडिया को नहीं रोका जा सकता.

मद्रास हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणियों के खिलाफ चुनाव आयोग की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि कोर्ट की सुनवाई (मौखिक टिप्पणियों) की रिपोर्टिंग से मीडिया को नहीं रोका जा सकता.

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Dalchand Kumar
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कोर्ट की सुनवाई पर रिपोर्टिंग से मीडिया को नहीं रोका जा सकता- SC( Photo Credit : फाइल फोटो)

मद्रास हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणियों के खिलाफ चुनाव आयोग की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. चुनाव आयोग ने कोर्ट से ये मांग की थी कि वो मीडिया को भी निर्देश दे कि वह इस तरह के मामलों में कोर्ट के औपचारिक आदेश को ही रिपोर्ट करे. जजों की मौखिक टिप्पणी को लिखकर अपनी खबर को सनसनीखेज न बनाए. चुनाव आयोग की इस अर्जी पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि मीडिया की आजादी सिर्फ औपचारिक आदेश रिपोर्ट करने तक सीमित नहीं है, वो सुनवाई की पूरी प्रकिया ( मौखिक टिप्पणियों) को भी रिपोर्ट कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि इंटरनेशनल कोर्ट तो लाइव स्ट्रीमिंग तक की इजाजत देते हैं. गुजरात हाईकोर्ट में भी ऐसा है.

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने आदेश में कहा कि कोरोना महामारी को हैंडल करने में हाइकोर्ट का अहम रोल रहा है, दूसरी ओर इलेक्शन कमिशन है, जो 70 सालों से निष्पक्ष चुनाव कराता रहा है. उन्होंने कहा कि हम समझते हैं कि कोविड 19 के बढ़ते केस के मद्देनजर मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणिया थी, पर ये टिप्पणिया सख्त थी. ऐसी टिप्पणियां करने में सावधानी बरतने की जरूरत है, जिनका गलत मतलब निकाला जा सकता है. हालांकि ये टिप्पणियां आदेश का हिस्सा नहीं है, लिहाजा उन्हें हटाने का कोई सवाल ही नहीं बनता. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट की सुनवाई (मौखिक टिप्पणियों) की रिपोर्टिंग से मीडिया को नहीं रोका जा सकता. ये न्यायापालिका की जवाबदेही के लिए जरूरी है.

दरअसल, पिछले महीने मद्रास हाईकोर्ट ने कोरोना संकट के बीच चुनावों को लेकर निर्वाचन आयोग को कड़ी फटकार लगाई थी. मद्रास हाईकोर्ट ने तीखी आलोचना करते हुए चुनाव आयोग को कोरोना प्रकोप के लिए 'सबसे गैर जिम्मेदार संस्था' करार दिया था. हाईकोर्ट ने यहां तक कहा था कि आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को मीडिया में छापा गया था. जिस पर चुनाव आयोग ने आपत्ति जताई थी.

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चुनाव आयोग ने मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका पर दायर कर मांग थी कि देश में बढ़ते कोरोना के मामले के पीछे आयोग को दोषी ठहराने वाली कोर्ट की मौखिक टिप्पणियों को मीडिया में छापने से रोका जाए. हालांकि हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. जिसके बाद चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

HIGHLIGHTS

  • चुनाव आयोग की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
  • 'सुनवाई पर नहीं रोकी जा सकती मीडिया कवरेज'
  • HC की कड़ी टिप्पणियों के खिलाफ EC ने लगाई थी अर्जी
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