अफगान संकट पर विदेश मंत्रालय का बयान- तालिबान को लेकर बोली यह बात
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां उथल-पुथल का माहौल है. तालिबानी लड़के काबुल की सड़कों पर खुलेआम हथियार लहराते घूम रहे हैं. इस बीच उनको वहां के स्थानीय लोगों के साथ मारपीट करते भी देखा गया है.
नई दिल्ली:
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां उथल-पुथल का माहौल है. तालिबानी लड़के काबुल की सड़कों पर खुलेआम हथियार लहराते घूम रहे हैं. इस बीच उनको वहां के स्थानीय लोगों के साथ मारपीट करते भी देखा गया है. यही वजह है कि भारत समेत तमाम देशों को वहां फंसे अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता है. इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान संकट को लेकर बड़ा बयान दिया है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि वहां फंसे लोगों को वापस लाने की प्रकिया जारी है. हमारा पूरा फोकस इस बात पर है कि आफगानी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए न किया जाए. इसके साथ हम अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों के भी लगातार संपर्क में हैं. काबुल से अधिकतर भारतीयों की वापसी हो चुकी है. इसके साथ ही काबुल एयरपोर्ट का संचालन शुरू होते ही आगे की प्रकिया शुरू की जाएगी.
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उन्होंने कहा कि ISIS से जुड़े भारतीय मूल के 25आतंकियो की अफगानिस्तान से वापसी की आशंका, हवाई अड्डे और बंदरगाह को अलर्ट पर रखा गया 43 प्रमुख हवाई अड्डों, बंदरगाहों और रेल रूटों पर सतर्कता बढ़ाई गई है एजेंसियों को आशंका है कि ये लोग किसी तीसरे देश के जरिए भारत में एंट्री की कोशिश कर सकते हैं ये आतंकी केरल और कर्नाटक के हैं और तालिबान राज के बाद अफ़ग़ानिस्तानी जेलों से रिहा हुए हैं. दिल्ली स्थित एक थिंक-टैंक रेड लैंटर्न एनालिटिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) को एक पत्र लिखा है, जिसमें तालिबान द्वारा किए जा रहे गंभीर मानवाधिकार हनन को लेकर एक पत्र लिखा है. थिंक-टैंक ने संयुक्त राष्ट्र निकाय से अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन की मानवाधिकार इकाई के तत्वावधान में मानवाधिकारों की समग्र स्थिति का आकलन करने के लिए एक तथ्य-खोज मिशन भेजने का आग्रह किया.
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मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त, मिशेल बाचेलेट को संबोधित पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि तालिबान द्वारा हाल ही में अफगानिस्तान के अधिग्रहण ने एक बार फिर से अपने दमनकारी शासन की वापसी के बारे में आशंकाओं को जन्म दिया है जो 1996-2001 से था. इस अवधि में अफगानिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति खतरनाक स्तर तक बिगड़ गई, जिसमें महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित थे। थिंक-टैंक ने यह भी कहा कि तालिबान के इस आश्वासन के बावजूद कि नई सरकार महिलाओं के अधिकारों सहित मानवाधिकारों का समर्थन करेगी, सच्चाई ऐसे बयानों से दूर रही. रेड लैंटर्न एनालिटिका ने यह भी कहा है कि अफगानिस्तान में असैन्य हताहतों की संख्या खतरनाक रूप से अधिक है और 180 से अधिक नागरिक मारे गए हैं, जबकि 1,000 से अधिक अन्य घायल हुए हैं.
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