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नए नक्शे पर भारत ने नेपाल को दी नसीहत, हम मनमाफिक सीमाएं बढ़ाना स्वीकार नहीं करेंगे

नेपाल द्वारा अपने नये राजनीतिक नक्शे में लिपुलेख और कालापाली को अपने क्षेत्र में प्रदर्शित किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत ने बुधवार को कहा कि इस तरह से क्षेत्र में कृत्रिम विस्तार के दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा.

Updated on: 20 May 2020, 11:52 PM

दिल्ली:

नेपाल (Nepal) द्वारा अपने नये राजनीतिक नक्शे में लिपुलेख और कालापाली को अपने क्षेत्र में प्रदर्शित किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत (India) ने बुधवार को कहा कि इस तरह से क्षेत्र में कृत्रिम विस्तार के दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा. भारत ने इस तरह के अनुचित मानचित्रण से पड़ोसी देश को बचने को कहा. भारत की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब नेपाल सरकार ने अपने संशोधित राजनीतिक एवं प्रशासनिक नक्शे में लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपने क्षेत्र के तहत प्रदर्शित किया.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह का एकतरफा कार्य ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित नहीं है. यह द्विपक्षीय समझ के विपरीत है जो राजनयिक वार्ता के जरिये लंबित सीमा मुद्दों को सुलझाने की बात कहता है. उन्होंने कहा कि ऐसे कृत्रिम तरीके से क्षेत्र में विस्तार के दावे को भारत स्वीकार नहीं करेगा. श्रीवास्तव ने नेपाल से भारत की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने को कहा और उम्मीद जतायी कि नेपाली नेतृत्व लंबित सीमा मुद्दे के समाधान के संबंध में राजनयिक वार्ता के लिये सकारात्मक माहौल बनाएगा.

उन्होंने कहा कि नेपाल इस मामले में भारत के सतत रुख से अवगत है और हम नेपाल की सरकार से इस तरह के अनुचित मानचित्रण से बचने का आग्रह करते हैं तथा उनसे भारत सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने को कहते हैं. गौरतलब है कि नेपाल के भूमि सुधार मंत्री पद्म अरयाल ने संवाददाता सम्मेलन में नया नक्शा जारी किया. लिपुलेख दर्रा, कालापानी के पास सुदूर पश्चिमी क्षेत्र है जो नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा क्षेत्र रहा है.

नेपाल ने जारी किया नया मानचित्र, लिम्पियाधुरा, लिपुलेख व कालापानी को अपने क्षेत्र में शामिल किया

बता दें कि नेपाल सरकार ने बुधवार को अपना नया संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक मानचित्र जारी किया, जिसमें उसने लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपने क्षेत्र में शामिल किया है. नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया था कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा नेपाल के हैं. उन्होंने इस क्षेत्रों को भारत से राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों के जरिये वापस लेने की प्रतिबद्धता जतायी थी. भूमि सुधार मंत्री पद्मा आर्यल ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान नेपाल के नए नक्शे का अनावरण किया.

संसद को संबोधित करते हुए ओली ने कहा था कि ये क्षेत्र नेपाल के हैं लेकिन भारत ने वहां अपनी सेना रखकर उन्हें एक विवादित क्षेत्र बना दिया है. उन्होंने कहा कि भारत द्वारा सेना तैनात करने के बाद नेपालियों को वहां जाने से रोक दिया गया. सोमवार को ओली की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की एक बैठक में एक नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दी गई, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल के क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया.

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मंत्री आर्यल ने कहा कि नया नक्शा संविधान की अनुसूची में अद्यतन किया गया है और इसे सरकारी कार्यालयों में रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि इसे आवश्यक संविधान संशोधन के लिए संसद में पेश किया जाएगा. आर्यल ने कहा कि नेपाल सरकार इस मामले पर भारत के साथ बातचीत करेगी और इस मुद्दे को कूटनीतिक प्रयासों से हल किया जाएगा. उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि भारत इस मामले पर सकारात्मक तरीके से विचार करेगा.

विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने इस घोषणा से कुछ हफ्ते पहले कहा था कि कूटनीतिक पहलों के जरिए भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास जारी हैं. नेपाल की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सांसदों ने भी लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को लौटाने की मांग के संबंध में संसद में एक विशेष प्रस्ताव पेश किया है.

लिपुलेख दर्रा नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा, कालापानी के पास एक दूरस्थ पश्चिमी स्थान है. भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपनी सीमा का अभिन्न हिस्सा बताते हैं. भारत उसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बताता है और नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है.