logo-image

कुंवारी लड़कियों को ही कॉलेज में मिलेगा दाखिला, तेलंगाना सरकार की दलील- शादीशुदाओं के कारण भटक सकता है बाकियों का ध्यान

इन कॉलेजों में 75 प्रितशत सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित होती हैं जब कि बाकी 25 पर्सेंट सीटें अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जातियों और जनरल कैटिगरी के लिए हैं।

Updated on: 02 Mar 2017, 07:13 PM

नई दिल्ली:

तेलंगाना सरकार ने सामाजिक कल्याण आवासीय महिला कॉलेजों में एडमिशन के लिए एक अजीबोगरीब फरमान जारी किया है। राज्य सरकार के इस आदेश के बाद अब सोशल वेलफेयर रेजिडेंशल वीमन्स डिग्री कॉलेज केवल अविवाहित महिलाओं को ही पढ़ने की इजाजत होगी।

इस डिग्री कॉलेजों में ऐडमिशन के लिए जारी किए गए एक नोटिफिकेशन में कहा गया है, 'TSWREIS साल 2017-18 के लिए बीए/बी. कॉम/बी एससी फर्स्ट इयर में ऐडमिशन के लिए महिला (अविवाहित) उम्मीदवारों की ऐप्लिकेशन आमंत्रित करता है।'

सरकार ने यह नियम एक साल के लिए लागू किया है। करीब 4000 महिलाएं सामाजिक कल्याण आवासीय महिला कॉलेजों के हॉस्टल में रहकर पढ़ रही हैं। राज्य में 23 ऐसे महिला डिग्री कॉलेज हैं। हर कॉलेज में 280 छात्राएं पढ़ और रह सकती हैं।

इन कॉलेजों में रहने, खाने और पढ़ने की सुविधा पूरी तरह मुफ्त होता है। इन कॉलेजों में 75 प्रितशत सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित होती हैं जब कि बाकी 25 पर्सेंट सीटें अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जातियों और जनरल कैटिगरी के लिए हैं।

कॉलेज ने नोटिफिकेशन जारी कर साफ कर दिया है कि केवल अविवाहित महिलाओं को ही ऐडमिशन दिया जाएगा। ऐसा इसलिए किया गया है जिससे कि अन्य लड़कियों का ध्यान पढ़ाई से न भटके क्योंकि शादीशुदा युवतियों के पती उनसे मिलने आते हैं और बाकी लड़कियों का ध्यान भटकता है।

एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक, सोसायटी के सचिव डॉ आर एस प्रवीण कुमार का कहना है कि इन कॉलेजों की स्थापना का उद्देश्य बाल विवाह के दुष्चक्र को तोड़ना है। वे लोग शादीशुदा युवतियों को हतोत्साहित नहीं करते हैं लेकिन कोई एडमिशन के लिए आवेदन करता है तो वे नहीं रोकेंगे।