Lockdown: इस बुजुर्ग की लौटी याददाश्त, सालों से भटक रहा था मिल गया परिवार

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन 4.0 31 मई तक घोषित कर दिया गया है. इस लॉकडाउन की वजह से देश के बहुत से लोग अपने परिवारों से दूर अलग किसी अन्य शहरों में फंसे हुए हैं.

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन 4.0 31 मई तक घोषित कर दिया गया है. इस लॉकडाउन की वजह से देश के बहुत से लोग अपने परिवारों से दूर अलग किसी अन्य शहरों में फंसे हुए हैं.

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Ravindra Singh
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old man lossed his memory

बुजुर्ग की लौटी याददाश्त( Photo Credit : फाइल)

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण काबू से बाहर होता जा रहा है. देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन 4.0 31 मई तक घोषित कर दिया गया है. इस लॉकडाउन की वजह से देश के बहुत से लोग अपने परिवारों से दूर अलग किसी अन्य शहरों में फंसे हुए हैं. ये सभी अपने परिजनों से मिलने का इंतजार कर रहे हैं. कुछ लोगों के लिए यह लॉकडाउन भले ही परेशानी का सबब रहा हो लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जो इस लॉकडाउन की वजह से अपने बिछड़े हुए परिवार से मिल गया. यह बुजुर्ग 3 साल पहले ही अपनी याददाश्त खो चुका था जिसकी वजह से ये अपने घर से दूर चला गया था और भटक रहा था. 

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70 वर्षीय बुजुर्ग करम सिंह पिछले 3 सालों से अपनी बेटे की शादी के लिए रुपयों का इंतजाम करने के लिए घर से निकले थे. उत्तर प्रदेश निवासी करम सिंह रुपयों के इंतजाम के लिए ट्रेन से निकले थे वो गलती से बेंगलुरु पहुंच गए और वहां से किसी तरह से मैसूर पहुंच गए थे. करम सिंह इस दौरान अपन घर से काफी दूर रहने की वजह से काफी तनाव में रहने लगे और धीरे-धीरे वो अपनी याददाश्त खो बैठे. देखते ही देखते वो अपने पिछले जीवन के बारे में सबकुछ भूल गए. वो मैसूर की सड़कों पर भटकते रहे. 

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इस दौरान लोगों की ओर से दिए गए खाने पर वह जीवित रहे. अब देश में लॉकडाउन लगा तो मैसूर में भी उसका पालन कराने के लिए स्‍थानीय अधिकारियों ने प्रयास जारी किए. इस दौरान करम सिंह सड़क पर घूमते हुए मिले. उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं थी. कोई भी उनके बारे में कुछ जानता नहीं था. ऐसे में अफसरों ने उन्‍हें नांजाराजा बहादुर नाम के वृद्धाश्रम में रख दिया. लोगों ने उन्हें वृद्धाश्रम में भेज दिया, जहां मनोचिकित्सकों ने उनका इलाज किया और धीरे-धीरे उनकी याददाश्त आने लगी. 

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उत्तर प्रदेश पहुंचने पर उन्होंने अपने परिवार को बताया कि वो कैसे-कैसे अपने घर वापस पहुंचे. उन्होंने बताया कि मैसूर सिटी कॉरपोरेशन ने पुलिस के जरिये उनके परिवार से संपर्क साधा तो पता चला कि उनके बच्चों ने यह मान लिया था कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जब उन्‍हें पता चला कि करम सिंह जिंदा हैं और अफसर उन्‍हें घर भेजने की तैयारी कर रहे हैं तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. स्‍वयंसेवी संस्‍था क्रेडिट आई करम सिंह को मैसूर से यूपी भेजने का बंदोबस्‍त कर रही है.

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