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चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने खेला 'बोस कार्ड', नेताजी की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश की मांग

पश्चिम बंगाल के चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिख नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश की मांग की है. 

Updated on: 19 Nov 2020, 09:12 AM

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में चुनाव की सुगबुगाहट तेज होने लगी है. राजनीति दलों ने चुनाव की अभी से तैयारी शुरू कर दी है. इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह भी मांग की है कि सुभाष चंद्र बोस के साथ क्या हुआ यह सच्चाई लोगों के सामने आनी चाहिए.  

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ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मांग की कि “जैसा कि आपको जानकारी है कि 23 जनवरी 2022 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाई जाएगी. बंगाल के महानतम बेटों में से एक नेताजी नेशनल हीरो हैं. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारत के स्वाधीनता संग्राम के वे आइकॉन हैं. वे सभी पीढ़ियों के लिए आदर्श हैं. उनके नेतृत्व में इंडियन नेशनल आर्मी के हजारों सिपाहियों ने मातृभूमि के लिए बलिदान दिया.” ममता बनर्जी ने लिखा कि हर साल पूरे सम्मान के साथ देशभर में नेताजी की जन्मदिन मनाया जाता है. हम लंबे समय से सरकार से ये मांग कर रहे हैं कि नेताजी के जन्मदिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए लेकिन अभी तक इसपर कोई फैसला नहीं लिया गया है.

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बोस की मृत्यु की नहीं हुई पुष्टि
नेताजी का जन्म 1897 में हुआ था और उनकी 125वीं जयंती अगले साल मनाई जाएगी. कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि नेताजी ताइवान के ताईहोकू हवाईअड्डे से एक विमान में सवार हुए थे जो दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और यही नेताजी की मृत्यु का कारण बना. हालांकि, उनकी मृत्यु के बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है क्योंकि कई विशेषज्ञ उनके लापता होने के बारे में विभिन्न सिद्धांत सामने लाए हैं. नेताजी की मृत्यु या गुम होने को लेकर रहस्यों पर प्रकाश डालने के लिए केंद्र तीन जांच आयोगों का गठन कर चुका है जिसमें 1956 की शाहनवाज जांच समिति, 1974 का खोसला आयोग और 2005 का न्यायमूर्ति मुखर्जी जांच आयोग शामिल है.

पहले दो आयोगों का निष्कर्ष था कि नेताजी की ताइपे में विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी जबकि तीसरे जांच आयोग का निष्कर्ष था कि बोस उसके बाद जीवित थे. नरेन्द्र मोदी सरकार ने एक सितंबर 2016 को बोस के बारे में 100 रिपोर्ट सार्वजनिक की थीं.  बनर्जी ने सितंबर 2015 में महान स्वतंत्रता सेनानी से संबंधित 64 फाइलें सार्वजनिक की थीं. हालांकि, किसी से भी कोई निष्कर्ष निकालने में मदद नहीं मिल सकी.