ममता की कुर्सी खतरे में, 90 दिन में नहीं किया ये काम तो गया CM पद
दीदी की कुर्सी को खतरे में लाने का काम कभी उनके नजदीकी रहे और अब बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने किया है.
highlights
- सीएम पद की शपथ लेने वाली ममता बनर्जी को 90 दिनों में बनना होगा विधायक
- नंदीग्राम में शुभेंदु अधिकारी ने करारी शिकस्त देकर दीदी के लिए पैदा की समस्या
- ऐसे में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भवानीपुर से लड़ सकती हैं उपचुनाव
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल (West Bengal) की तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सर्वेसर्वा ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की कुर्सी खतरे में है. दीदी की कुर्सी को खतरे में लाने का काम कभी उनके नजदीकी रहे और अब बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने किया है. गौरतलब है कि नंदीग्राम में शुभेंदु (Suvendu Adhikari) अधिकारी ने ममता बनर्जी को विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त दी थी. यानी दीदी फिलहाल कहीं से भी विधायक नहीं हैं. संवैधानिक परिपाटी के तहत उन्हें 6 महीने के भीतर कहीं से विधायकी पक्की करनी पड़ेगी. ऐसा नहीं होने पर उनकी सीएम की कुर्सी खतरे में आ जाएगी. इस लिहाज से देखें तो ममता बनर्जी के पास महज 90 दिन ही बचे है. यही वजह है कि टीएमसी ने उपचुनाव की तारीख जल्द घोषित करने के लिए चुनाव आयोग पर दबाव बढ़ा दिया है.
2 पर चुनाव और 5 पर होने हैं उपचुनाव
नियमानुसार नंदीग्राम में शुभेंदु अधिकारी से चुनाव हारकर भी मुख्यमंत्री बनी ममता को 5 नवंबर तक उपचुनाव के सहारे विधायक बनना होगा. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चाहती है कि राज्य में जल्द उपचुनाव कराए जाएं. टीएमसी के मंत्रियों का एक दल शुक्रवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरिज आफताब से मिला और सात सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रक्रिया तेज करने की अपील की. पार्टी के महासचिव पार्थ चटर्जी ने यह जानकारी दी है. टीएमसी के प्रतिनिधिमंडल ने आफताब से अनुरोध किया कि जल्द से जल्द से उपचुनाव के तारीख का ऐलान किया जाए, क्योंकि इस समय कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है. चटर्जी ने कहा, 'हमने सीईओ से गुजारिश की कि चुनाव के लिए तारीख का ऐलान किया जाए और दो सीटों के लिए चुनाव और 5 विधानसभा सीटों के लिए जल्द से जल्द उपचुनाव कराए जाएं.'
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भवानीपुर से चुनाव लड़ सकती हैं ममता बनर्जी
चटर्जी ने कहा कि सीईओ ने उन्हें भरोसा दिया कि इसको लेकर काम जारी है. मुलाकात के बाद टीएमसी नेता ने कहा, 'विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया खत्म हुए करीब 3 महीने बीत चुके हैं. हमने जानना चाहा कि लंबित चुनाव और उपचुनाव के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.' चटर्जी के अलावा इस प्रतिनिधिमंडल में सुब्रत मुखर्जी, चंद्रिमा भट्टाचार्य और शशि पांजा शामिल थे. गौरतलब है कि नंदीग्राम में मिली हार के बाद ममता बनर्जी एक बार फिर कोलकाता के भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ सकती है, जिसे टीएमसी उम्मीदवार सोभनदेब चट्टोपाध्याय ने जीत मिलने के बाद खाली कर दिया था. वह खररदान से उपचुनाव लड़ सकते हैं. टीएमसी की काजल सिन्हा की कोविड-19 से मौत के बाद यह सीट खाली हो गई थी. नियम के मुताबिक, ममता बनर्जी को शपथ के छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना होगा.
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