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मेक इन इंडिया के तहत हथियार उत्पादन नियमों में ढील, बढ़ेगा निवेश, रोज़गार

केंद्रीय गृहमंत्रालय ने हथियार और गोला-बारूद के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये नियमों में ढील दी है। मंत्रालय ने हर 5 साल में लाइसेंस रिन्यू करने के नियम को खत्म कर दिया है अब सिर्फ एक बार ही लाइसेंस फीस ली जाएगी।

Updated on: 31 Oct 2017, 12:13 AM

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने 'मेक इन इंडिया' अभियान को बढ़ावा देने के लिये हथियार उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने हथियार और गोला-बारूद के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये नियमों में ढील दी है। मंत्रालय ने हर 5 साल में लाइसेंस रिन्यू करने के नियम को खत्म कर दिया है अब सिर्फ एक बार ही लाइसेंस फीस ली जाएगी।

सरकार का कहना है कि इससे हथियार और गोला-बारूद के उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा। साथ ही इससे गोला-बारूद के उत्पादन की क्षमता में 15 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।

नया नियम पिछले हफ्ते देश में लागू हो चुका है। इसके तहत अब उत्पादक कंपनियों को राज्य या केंद्र सरकार को सीधे सप्लाई कर सकेंगे। इसके लिये इन्हें गृहमंत्रालय की अनुमिते लेने की ज़रूरत नहीं होगी।

गृहमंत्रालय के बयान में कहा गया है कि नियमों के ढील देने से देश में ही गोला-बारूद का विश्व स्तर के हथियार के लिये गोल-बारूद संबंध की सेना, सुरक्षा बल और पुलिस बल की आवश्यकताएं पूरी की जा सकेंगी।

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बयान के मुताबिक नए नियमों के तहत कंपनियों को मिले लाइसेंस की अजीवन वैधता होगी और उसे हर पांच साल में रिन्यू नहीं कराना होगा।

गृह मंत्रालय के नए नियम छोटे हथियार उत्पादक कंपनियों पर भी लागू होंगे जिन्हें हथियार उत्पादन की अनुमति मिली हुई है।

इसके अलावा ये नियम औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के तहत लाइसेंस प्राप्त करने वाले टैंक, हथियारों से लैस लड़ाकू वाहन, रक्षक विमान, अंतरिक्ष यान, युद्ध सामग्री और अन्य हथियारों के पुर्जे तैयार करने वाली इकाइयों पर लागू होंगे।

नियमों के अनुसार लाइसेंस फीस में भी कटौती की गई है।पहले एक हथियार के लाइसेंस के लिये 500 रुपये लगते थे जो कई हथियार बनाने को लेकर महंगा होता था जिससे कंपनियां कई बार लाइसेंस नहीं लेना चाहती थीं। लेकिन अब लाइसेंस फीस 5000 रुपये से लेकर 5000 रुपये के बीच होगा।

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