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'लेटर बम' से महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी के सियासी समीकरण जाएंगे बदल

चर्चा है कि लेटर कांड के बाद शिवसेना-एनसीपी (NCP) के साथ अपने रिश्तों पर सोचने पर मजबूर हो गई है. दूसरी तरफ बीजेपी (BJP) ने शिवसेना (Shivsena) के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं.

Updated on: 21 Mar 2021, 07:35 AM

highlights

  • मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर के लेटर बम से सियासी भूचाल
  • शिवसेना-एनसीपी के रिश्ते सामान्य नहीं रहने के कयास
  • बीजेपी साध सकती है अपने समीकरण, दोहराएगा बिहार!

मुंबई:

महाराष्ट्र (Maharashtra) में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का लेटर बम फूटने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. खासकर इस लेटर से उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली सरकार मुश्किल में आ गई है. देखा जाए तो उद्धव ठाकरे को भेजे गए आठ पेज के पत्र का असर सीधे मुकेश अंबानी (Mukseh Ambani) केस पर तो पड़ेगा ही, साथ ही इससे महाराष्ट्र में सरकार गिरने का भी खतरा बढ़ गया है. चर्चा है कि लेटर कांड के बाद शिवसेना-एनसीपी (NCP) के साथ अपने रिश्तों पर सोचने पर मजबूर हो गई है. दूसरी तरफ बीजेपी (BJP) ने शिवसेना (Shivsena) के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं.

गृह मंत्री के आरोपों के बाद पूर्व पुलिस कमिश्नर ने लिखा पत्र
मुकेश अंबानी के घर के बाहर रखे जिलेटिन केस में परमबीर सिंह को तीन दिन पहले मुंबई पुलिस कमिश्नर की कुर्सी से हटा दिया गया. उन्हें साइड पोस्टिंग माने जाने वाले होम गार्ड विभाग का डीजी बना दिया गया. शिवसेना ने इसे एक रूटीन ट्रांसफर बताया था, लेकिन दो दिन पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने एक कार्यक्रम में कहा कि परमबीर सिंह का ट्रांसफर रूटीन नहीं है. उन्होंने कुछ अक्षम्य गलतियां कीं, इसलिए उनका तबादला किया गया. इसी से खफा होकर परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक लेटर लिखा और अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के न सिर्फ गंभीर आरोप लगाए, बल्कि इससे जुड़े कुछ सबूत भी दे दिए. परमबीर सिंह ने कहा कि अनिल देशमुख ने सचिन वाझे को अपने पास बुलाया था और उनके लिए हर महीने 100 करोड़ रुपये का कलेक्शन होटल, रेस्तरां, बीयर बार व अन्य जगह से करने को कहा था.

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पत्र में परमबीर सिंह के सनसनीखेज दावे
मुंबई में 1750 बार, रेस्तरां और इसी तरह के अन्य जगह हैं, जहां से अनिल देशमुख के अनुसार, आसानी से रुपये कलेक्ट किए जा सकते हैं. परमबीर सिंह को दावा है कि यह बात सचिन वाझे ने उन्हें बताई थी. परमबीर सिंह ने यह भी दावा किया कि अनिल देशमुख ने मुंबई पुलिस की समाज सेवा शाखा के एसीपी संजय पाटील और डीसीपी भुजबल को भी इसी तरह बुलाया और उनके लिए महीने में 40 से 50 करोड़ रुपये का कलेक्शन करने को कहा. मुंबई के पूर्व सीपी ने इस संबंध में एसीपी संजय पाटील और खुद उनके यानी परमबीर के बीच हुए कुछ एसएमएस को सबूत के तौर पर उद्धव ठाकरे को भेजा, लेकिन इस पत्र का जो महत्वपूर्ण हिस्सा है वह है दादरा और नागरा हवेली के सांसद मोहन डेलकर से जुड़ी बात. मोहन डेलकर ने करीब दो महीने पहले दक्षिण मुंबई के होटल में खुदकुशी कर ली थी. उन्होंने एक सुइसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें बीजेपी से जुड़े कुछ नेताओं, प्रशासकों के नाम थे.

मोहन डेलकर का भी जुड़ा नाम
मरीन ड्राइव पुलिस ने इस केस में शुरुआत में एक्सिडेंटल डेथ का केस दर्ज किया था. परमबीर सिंह का कहना है कि अनिल देशमुख उन पर इस बात का दबाव डाल रहे थे कि वह इस केस में आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज करें. परमबीर सिंह का तर्क था कि चूंकि मोहन डेलकर महाराष्ट्र के सांसद नहीं, कहीं और के सांसद थे, इसलिए जांच दादरा और नागरा हवेली पुलिस को ही करनी चाहिए. मुंबई पुलिस को नहीं. परमबीर का आरोप है कि अनिल देशमुख ने उनकी नहीं सुनी और 9 मार्च को विधानसभा में घोषणा की कि इस केस के इनवेस्टिगेशन के लिए एसआईटी बनाई जाएगी और मुंबई पुलिस आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज करेगी.

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खुद लेटर लिखा और मीडिया में लीक कराया
परमबीर सिंह ने जो लेटर लिखा और फिर खुद ही मीडिया को लीक भी करवाया, तो इसके बहुत मायने हैं. परमबीर सिंह अभी भी पुलिस सर्विस में हैं. सितंबर 2022 में उनका रिटायरमेंट है. अमूमन सर्विंग ऑफिसर मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की इस तरह की हिम्मत नहीं करता, क्योंकि यह उसकी सर्विस के प्रोटोकॉल के खिलाफ होता है लेकिन परमबीर सिंह ने यदि लिखा लेटर लीक करवाया, तो इसके जरिए एक तीर से कई निशाने लगा हैं. मुकेश अंबानी के केस का पूरा इनवेस्टिगेशन अब एनआईए कर रही है, जिसने सचिन वाझे को इस केस में अरेस्ट किया है. एनआईए केंद्रीय एजेंसी है, जो केंद्र सरकार के अंडर में आती है. इस बात की पूरी संभावना थी, अभी भी है, कि पमरबीर सिंह को भी इस केस में स्टेटमेंट के लिए बुलाया जाए, क्योंकि वह सचिन वाझे के बॉस थे.

देवेंद्र फडणवीस के प्रिय हैं परमबीर सिंह
लेकिन अपने इस पत्र के जरिए परमबीर सिंह ने यह शायद कहना चाहा है कि चूंकि अनिल देशमुख ने सचिन वाझे से कलेक्शन के लिए कहा था, इसलिए सचिन वाझे ने अनिल देशमुख पर दबाव डालकर मुकेश अंबानी का केस अपने पास इनवेस्टिगेशन के लिए ले लिया. परमबीर सीपी होते हुए भी इस मामले में कुछ नहीं कर पाए. इस पत्र का राजनीतिक प्रभाव दूसरा है. मुंबई में यह तमाम लोग जानते हैं कि परमबीर सिंह देवेंद्र फडणवीस के लाडले आईपीएस अधिकारियों में रहे हैं. देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री कार्यकाल में वह चार साल तक ठाणे के पुलिस कमिश्नर रहे थे. खास बात यह है कि जब मार्च के पहले हफ्ते में देवेंद्र फडणवीस ने मुकेश अंबानी वाला मामला विधानसभा में उठाया, तो सचिन वझे को टार्गेट किया, सरकार को टार्गेट किया, लेकिन सचिन वाझे के बॉस परमबीर सिंह पर देवेंद्र फडणवीस नरम रहे.

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एनसीपी से रिश्तों पर सोचेगी शिवसेना
दादरा और नागरा हवेली के सांसद मोहन डेलकर के सुइसाइड केस में बीजेपी नेताओं पर केस करने का अनिल देशमुख के दबाव का जिक्र करके भी परमबीर सिंह ने अपरोक्ष रूप से वह भाषा लिखी है, जो निश्चित तौर पर बीजेपी के नेताओं को पसंद आएगी. इसलिए कोई आश्चर्य नहीं होगा, अगर शिवसेना इस लेटर बम के बाद एनसीपी से अपने आगे के रिश्तों के बारे में सोचे. यह भी हो सकता है कि पिछली जिद्द से हटते हुए बीजेपी शिवसेना का मुख्यमंत्री बना रहने दे और बिहार की तर्ज पर महाराष्ट्र में फिर शिवसेना के साथ गठबंधन का मन बनाए. परमबीर सिंह के लेटर लीक होने के बाद बीजेपी आक्रामक भी हो गई है. उसने अनिल देशमुख के इस्तीफे और उनका नार्को टेस्ट की मांग की है.