जीवन देने वाला पेशा कृषि किसानों के लिए बना जानलेवा: एम एस स्वामीनाथन
ग्राम पंचायतों को इन मुद्दे के बारे में जानकारी होनी चाहिए और इससे निपटने के लिए उन्हें अपनी अहम भूमिका निभानी चाहिए।
highlights
- ग्राम पंचायतों को इससे निपटने के लिए अपनी अहम भूमिका निभानी चाहिए
- कर्ज किसानों के लिए आज मुख्य समस्या बन गई है
नई दिल्ली:
पिछले एक साल में किसानों के बढ़ते आत्महत्या के मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए भारतीय हरित क्रांति के जनक व वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन ने कहा, 'जब जीवन देने वाला पेशा ही किसी की जान लेने लगे, तो समझ जाइए कि वास्तव में बहुत गलत हो रहा है।'
भारतीय विज्ञान कांग्रेस को संबोधित करते हुए स्वामीनाथन ने कहा, 'ग्राम पंचायतों को इन मुद्दे के बारे में जानकारी होनी चाहिए और इससे निपटने के लिए उन्हें अपनी अहम भूमिका निभानी चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'कृषि एक जीवन देने वाला रोजगार है, जो पूरे देश से जुड़ा है, अगर यही पेशा आपका जीवन लेने लेगे तो समझ जाइए कि बहुत कुछ गलत हो रहा है।'
उन्होंने कहा कि हालांकि हर क्षेत्र में किसानों का अहम योगदान है, लेकिन कर्ज किसानों के लिए आज मुख्य समस्या बन गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों को हर गांव जो उनके अंतर्गत आते हैं उनके परिवारों को जागरुक कर खेती का विकास करना चाहिए।
ये भी पढ़ें, एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों का कर्ज और दिवालिएपन किसानों की आत्महत्या का प्रमुख कारण रहा
स्वामीनाथन ने कहा कि खेती सबसे जोखिमभरा पेशा है। इसमें मौतों के भिन्न-भिन्न कारण हैं। जैसे विदर्भ में मौतों का अलग कारण है और तमिलनाडु में अलग।
पिछले एक साल में किसानों की आत्महत्या के मामले में 42 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 2015 के बीच देश में किसानों की आत्महत्या के मामले 42 फीसदी बढ़े हैं।
2014 में देश में 5,650 किसानों ने आत्महत्या की थी जो 2015 में बढ़कर 8007 हो गई। देश में पिछले दो साल से लगातार सूखा पड़ रहा है। महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सूखे का असर सबसे भयानक रहा।
एम एस स्वामीनाथन एक वैज्ञानिक हैं। भारत में हरित क्रांति में मुख्य भूमिका अदा करने वाले स्वामीनाथन ने अपना अतुलनीय योगदान दिया है। स्वामीनाथन की बदौलत भारत में गेहू की पैदावार में बढ़त हुई है। इसके साथ ही वे एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने अपने कार्य की शुरुआत गरीबी और भुखमरी को हटाने के नेक इरादे से की थी।
ये भी पढ़ें, पिछले एक साल में किसानों की आत्महत्या के मामले 42 फीसदी बढ़े
1972 से 1979 तक वे इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के डायरेक्टर थे। और 1979 से 1980 तक वे मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर फ्रॉम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी भी रहे।
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Mishri Ke Upay: चमत्कारी है धागे वाली मिश्री का ये उपाय, बरसने लगेगी देवी लक्ष्मी की कृपा
-
Remove Negative Energy: नकारात्मक ऊर्जा से हैं परेशान, पानी में ये डालकर करें स्नान
-
Shani Jayanti 2024: शनि जयंती के दिन इस तरह करें शनिदेव की पूजा, आर्थिक संकट होगा दूर
-
Mulank 7 Numerology 2024: मई में इस मूलांक के लोगों को मिलने वाले हैं कई नए अवसर, हो जाएं तैयार