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लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, हंगामे पर स्पीकर ओम बिरला नाराज

लोकसभा की कार्यवाही बुधवार को अपने कार्यक्रम से दो दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई, जिससे मानसून सत्र समाप्त हो गया

Updated on: 11 Aug 2021, 04:45 PM

नई दिल्ली:

लोकसभा की कार्यवाही बुधवार को अपने कार्यक्रम से दो दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई, जिससे मानसून सत्र समाप्त हो गया. मौजूदा सत्र 13 अगस्त को समाप्त होने वाला था. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सदन में हंगामा करने वाले सदस्यों से काफी नाराज नजर आए. उन्होंने कहा कि जनता ने हमें यहां हंगामे के लिए ही नहीं बल्कि उनकी समस्याओं को सामने लाने के लिए भेजा है. उन्होंने कहा कि हंगामा कर रहे सदस्य जनहित के विषय पर चर्चा संवाद नहीं चाहते. स्पीकर ने कहा कि नारेबाजी कर रहे सदस्य आदिवासी, गरीब, दलित शोषित, पीड़ित, वंचित वर्ग की बात नहीं करना चाहते.

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लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आदिवासी दिवस पर आदिवासी समाज के कल्याण पर सदन में कोई बात नहीं हुई. मैं चाहता हूं कि सदन में चर्चा और संवाद हो लेकिन आप हंगामा कर रहे हैं. देश को और लोकतंत्र को यदि मजबूत करना, गरीब को सशक्त बनाना है तो चर्चा और संवाद ही एकमात्र माध्यम है.

ओम बिरला ने कहा कि सत्र में कार्यवाही अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रही. उन्होंने निरंतर व्यवधान के कारण महज 22 प्रतिशत उत्पादकता रहा. उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान संविधान 127वां संशोधन विधेयक सहित कुल 20 विधेयक पारित किए गए. इस दौरान 66 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए, सदस्यों ने नियम 377 के अधीन 331 मामले उठाए गए.

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आपको बता दें कि 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद अध्यक्ष ओम बिरला ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया, जो पहले संसद सदस्य और केंद्र में मंत्री थे. नित्यानंद मिश्रा, गोपालराव मायेकर और सुदर्शन रॉय चौधरी के लिए भी श्रद्धांजलि दी गई. दिवंगत आत्माओं के सम्मान में सदन में मौजूद सदस्य भी कुछ देर के लिए मौन खड़े रहे.

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19 जुलाई को सत्र की शुरूआत के बाद से कथित पेगासस जासूसी विवाद, कृषि कानूनों, मुद्रास्फीति और अन्य मुद्दों पर विपक्ष के विरोध ने लगातार कार्यवाही को प्रभावित किया था. हालांकि, ओबीसी विधेयक को पारित करते समय विपक्षी सांसदों की सरकार के साथ एकमत थी, जिसे मंगलवार को एक मैराथन बहस के बाद पारित किया गया था. यह एकमात्र विधेयक था जो बहस के बाद पारित किया गया था, बाकी विधेयकों को बिना चर्चा के पारित किया गया था.