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Kumbh Corona Test Scam: कोरोना टेस्ट करने वाली कंपनी ही गायब, नाम-पता निकला फर्जी

हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना जांच रिपोर्टों में हुए कथित भ्रष्टाचार को 'मानवता के प्रति अपराध' बताते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने बुधवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से इस मामले की अविलंब सक्षम एजेंसी से जांच करवाने की मांग की.

Updated on: 17 Jun 2021, 01:44 PM

नई दिल्ली:

हरिद्वार कुंभ मेले में हुए कोरोना टेस्ट मामले में एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं. कुंभ में जिस कंपनी को कोरोना टेस्ट कराने की जिम्मेदारी दी गई थी, उसका पता भी फर्जी निकला है. कंपनी ने अपना कॉरपोर्ट ऑफिस का पता नोएडा के सेक्टर 63 में बताया है लेकिन इसपर कंपनी के नाम का कुछ भी नहीं मिला. इस पते पर टीन शेड वाली एक छोटी सी फैक्ट्री चलती है, जहां प्लास्टिक बनाने का काम होता है. फैक्ट्री के मालिक ने बताया कि उन्होंने फिलहाल इस जगह को किराए पर ले रखा है लेकिन इसका जो असली मालिक है, उसका भी कुंभ में टेस्ट करने वाली कंपनी से कोई संबंध नहीं है. सवाल करने पर फैक्ट्री के मालिक ने बताया कि यहां कभी कोई भी टेस्ट करने वाली कंपनी के नाम से वेरिफिकेशन या सर्वे करने नहीं आया.

वहीं जिस कंपनी को कुंभ में कोरोना टेस्ट करने का जिस कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था, उसका दिल्ली का पता भी सवालों के घेरे में है. कंपनी के दिए गए पते में  पूर्वी दिल्ली में अंसल भवन तो ज़रूर मिला लेकिन पूरी पूर्वी दिल्ली में भीकाजी कामा प्लेस कही नहीं मिला. अब कंपनी के अस्तित्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

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बता दें कि हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना जांच रिपोर्टों में हुए कथित भ्रष्टाचार को 'मानवता के प्रति अपराध' बताते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने बुधवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से इस मामले की अविलंब सक्षम एजेंसी से जांच करवाने की मांग की. इसी बीच, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी इस प्रकरण की जांच उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश से कराए जाने या राज्य सरकार से इस्तीफा देने की मांग की है. प्रकरण उजागर होने के बाद प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कुंभ के दौरान निजी जांच प्रयोगशालाओं ने कम से कम कोविड की एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी की.

मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में उपाध्याय ने कहा कि कुंभ मेले में कोरोना की फर्जी जांच रिपोर्ट जारी करने से संबंधित वर्तमान प्रकरण अत्यंत गंभीर है और लोगों की ज़िन्दगी से जुड़ा हुआ है.

उन्होंने कहा, '' कुंभ मेले के बाद जिस तरह कोरोना का क़हर बरपा, वह कल्पनातीत है. उत्तराखंड का कोई घर नहीं है, जहां इसका दुष्प्रभाव न पड़ा हो. घर के घर तबाह हो गये. 25-40 आयु वर्ग की जवान मौतें हुईं हैं. कौन इन सबकी ज़िम्मेदारी लेगा?''

उपाध्याय ने आरोप लगाया कि कुंभ मेले में इस तरह के भ्रष्टाचार के कारण ही प्रदेश पर कोरोना का यह प्रलय काल आया है. उन्होंने कहा कि हाल में वह हरिद्वार गए थे जहां हर व्यक्ति की ज़ुबान पर कुंभ मेले में कथित भ्रष्टाचार के किस्से थे.

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कुंभ के दौरान कोविड के प्रसार को नियंत्रित रखने के लिए राज्य सरकार को 50,000 कोविड जांच प्रतिदिन कराने को कहा था, जिसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने 22 प्रयोगशालाओं को इसका जिम्मा सौंपा. लेकिन, आरोप है कि इस दौरान फर्जी कोविड जांच रिपोर्ट जारी कर भारी भ्रष्टाचार किया गया.

प्रारंभिक जांच में सामने आया कि इन निजी जांच प्रयोगशालाओं ने कम से कम एक लाख इस प्रकार की फर्जी रिपोर्टें जारी कीं. मामले के संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को जांच करके 15 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था.