HBD: इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ कवि बने कुमार विश्वास, कभी ट्रक में बैठ कवि सम्मेलन से आते थे घर
कुमार विश्वास ने 2014 में अमेठी से राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें जीत हासिल नहीं हो पाई थी.
नई दिल्ली:
प्रसिद्ध कवि और राजनेता कुमार विश्वास आज कवि सम्मेलनों की शान है. हिंदी की कोई भी बड़ा कवि सम्मेलन उनकी अनुपस्थिति में फीका सा दिखाई देता. युवाओं के बीच उन्होंने अपनी अलग ही पहचान बना ली है. कुमार विश्वास में शिखर तक का सफर ऐसा ही तय नहीं किया. शिखर तक पहुंचने के लिए उन्हें संघर्ष का लंबा रास्ता तय करना पड़ा है. कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी, 1970 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद के पिलखुआ में हुआ था. इनके पिता का नाम डॉ. चंद्रपाल शर्मा हैं, जो आरएसएस डिग्री कॉलेज में प्रध्यापक हैं और मां का नाम रमा शर्मा है. वह अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं. कुमार विश्वास सिर्फ अपनी कविताओं के लिए ही नहीं बल्कि राजनीति में उथल-पुथल के लिए भी चर्चा में रहे हैं.
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कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुमार विश्वास ने जब कवि सम्मेलनों में जाना शुरू किया, तब उनके पास इतने पैसे नहीं होते थे कि आने-जाने पर खर्च कर सकें. ऐसे में किसी से भी लिफ्ट मांग लेते थे. कई बार ट्रकों में भी लिफ्ट ली. कुमार विश्वास ने अगस्त, 2011 में जनलोकपाल आंदोलन के लिए गठित टीम अन्ना के एक सक्रिय सदस्य थे. इसके बाद 26 नवंबर, 2012 में गठित आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे. कुमार विश्वास मूलत: श्रृंगार रस के कवि हैं। इनकी दो पुस्तकें 'इक पगली लड़की के बिन' (1996) और 'कोई दीवाना कहता है' (2007 और 2010 दो संस्करण) काफी लोकप्रिय रहे. कुमार विश्वास को 1994 में काव्य कुमार, 2004 में डॉ. सुमन अलंकरण अवार्ड, 2006 में श्री साहित्य अवार्ड और 2010 में गीत श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया.
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लेक्चरर से रूप में की नौकरी
कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने 1994 में राजस्थान के एक कॉलेज में लेक्चरर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने कई कवि-सम्मेलनों में हिस्सा लिया है और इसके साथ ही वह मैग्जीन के लिए भी लिखते हैं. विख्यात लेखक धर्मवीर भारती ने कुमार विश्वास को अपनी पीढ़ी का सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला कवि कहा था तो वहीं प्रसिद्ध हिंदी गीतकार नीरज ने उन्हें 'निशा-नियाम' की संज्ञा दी थी.
पिता चाहते थे इंजीनियर बनें विश्वास
कुमार विश्वास के पिता चाहते थे कि ये इंजीनियर बनें, लेकिन कुमार विश्वास का सपना कुछ अलग ही करने का था. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और हिंदी साहित्य में स्नातक किया. कुमार विश्वास ने 2014 में अमेठी से राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें जीत हासिल नहीं हो पाई थी.
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