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MS Swaminathan: जानें कौन हैं स्वामीनाथन? जिन्हें मोदी सरकार करेगी भारत रत्न से सम्मानित

MS Swaminathan Bharat Ratna: एमएस स्वामीनाथन का जन्म तमिलनाडु के कुंभकोणम में 7 अगस्त 1925 को हुआ था. उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन था.

Updated on: 09 Feb 2024, 03:02 PM

नई दिल्ली:

MS Swaminathan Bharat Ratna: मोदी सरकार ने आज (9 फरवरी) देश के दो पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और वीपी नरसिम्हाराव के अलावा कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया. चौधरी चरण सिंह और वीपी निरसिम्हाराव के बारे में तो आप जानते ही होंगे, लेकिन एमएस स्वामीनाथन के बारे में शायद आपको कम ही जानकारी होती. तो आपको बता दें कि स्वामीनाथन एक मशहूर कृषि वैज्ञानिक थे. जिन्हें भारत में हरित क्रांति का जनक भी माना जाता है. पिछले साल सितंबर में उनका 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था.

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अब मोदी सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया है. वह काफी दूरदर्शवी सोच वाले वैज्ञानिक थे, उन्हें फादर ऑफ ग्नीन रेवोल्यूशन के रूप में भी पहचाना जाता है. वो एमएस स्वामीनाथन ही थे जिन्होंने देश के किसानों के लिए एक रिपोर्ट बनाई थी. जिसपर सालों तक राजनीति होती रही. बावजूद इसके उनकी इस रिपोर्ट से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाया और ये रिपोर्ट राजनीति की भेंट चढ़ गई.

तमिलनाडु में पैदा हुए थे स्वामीनाथन

एमएस स्वामीनाथन का जन्म तमिलनाडु के कुंभकोणम में 7 अगस्त 1925 को हुआ था. उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडु से ही हुई. स्वामीनाथन के पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे. उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था. स्वामीनाथन ने तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज से अपना स्नातक पूरा किया और उसके बाद वह कोयंबटूर की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की.

क्या थी भारत की हरित क्रांति

एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है. उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर भारत में हरित क्रांति की शुरुआत की थी. हरित क्रांति कार्यक्रम के तहत कैमिकल-जैविक तकनीक का प्रयोग कर धान और गेहूं के उत्पादन में भारी किया गया था. इससे देश में क्रांति आ गई किसानों को खूब लाभ मिला. इससे गेहूं  और धान की पैदावार बढ़ गई.

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क्या था स्वामीनाथन रिपोर्ट?

दरअसल, यूपीएस सरकार के पहले कार्यकार्य के समय 2004 में देश के किसानों की स्थिति जानने के लिए एक आयोग का गठन किया गया. जिसे नैशनल कमीशन ऑन फार्मर्स (NCF) नाम दिया गया था. इस आयोग का प्रमुख एम एस स्वामीनाथन को बनाया गया था. इस आयोग ने दो साल के भीतर सरकार को पांच रिपोर्ट सौंपी.  इन्हीं रिपोर्ट्स को स्वामीनाथन रिपोर्ट कहा जाता है. इस रिपोर्ट में उन्होंने सरकार को कई सुझाव दिए.

जिससे देश के किसानों की स्थिति में सुधार किया  जा सके. स्वामीनाथन रिपोर्ट में सबसे बड़ा और चर्चित सुझाव एमएसपी को लेकर था. रिपोर्ट में कहा गया था कि किसानों को फसल की लागत का 50 फीसदी लाभ मिलाकर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) मिलना जरूरी है. यही नहीं उन्होंने राज्यसभा में भी किसानों और खेती का मुद्दा उठाया था. वह 2007 से लेकर 2013 तक राज्यसभा के सदस्य रहे इस दौरान उन्होंने उच्च सदन में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए.

इन पुरस्कारों से किए गए सम्मानित

एमएस स्वामीनाथन को भले ही अब भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा हो, लेकिन इससे पहले उन्हें साल 1987 में कृषि के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार कहे जाने वाले प्रथम खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया. उन्हें कृषि के क्षेत्र में 40 से ज्यादा पुरस्कार मिले.

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कई प्रमुख पदों पर रहे स्वामीनाथन

एमएस स्वामीनाथन ने अपने जीवन की कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक के रूप में 1961-1972 तक काम किया. वह आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव भी रहे. इसके अलावा वह कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव के पद पर भी रहे.