केरल बाढ़ : राज्य सरकार ने SC में तमिलनाडु के खिलाफ केस दर्ज किया, यूरोपीय संघ ने की मदद
बाढ़ के दौरान भी पानी छोड़े जाने पर नियंत्रण करने की गुजारिश को तमिलनाडु ने नजरअंदाज किया, इस कारण ये केस दाखिल किया गया है।
नई दिल्ली:
केरल सरकार ने राज्य में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए तमिलनाडु सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया है। बाढ़ के दौरान भी पानी छोड़े जाने पर नियंत्रण करने की गुजारिश को तमिलनाडु ने नजरअंदाज किया, इस कारण ये केस दाखिल किया गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने गुरुवार को कहा कि लोग और उनकी समस्याएं हमारी पहली प्राथमिकता है। हमें किसी भी हालत में उनकी मदद करनी चाहिए। यह विचार पार्टी लाइन के ऊपर होने चाहिए। हमें एक दिल और दिमाग के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।
केरल में बाढ़ की स्थिति में सुधार हो रहा है हालांकि राहत शिविरों में रह रहे लोगों की जिंदगियों को पटरी पर लाने में लंबा वक्त लग सकता है। बाढ़ के बाद फैल रही बीमारियों को देखते हुए केरल सरकार ने अतिरिक्त मेडिकल टीम और फील्ड हॉस्पिटल स्थापित करने की मांग की है।
राज्य में आर्मी चिकित्सा सुविधाओं को पहुंचा रही है वहीं 12 टीम पहले से राज्य में पहले से तैनात हैं। अब तक बाढ़ से प्रभावित 3000 लोगों को मेडिकल सहायता मिल चुकी है। केरल बाढ़ से राहत और पुनर्सुधार के लिए देश और विदेशों से मदद मिलना जारी है।
यूरोपीय संघ की मदद
गुरुवार को यूरोपीय संघ (ईयू) ने बाढ़ग्रस्त केरल में तुरंत सहायता मुहैया कराने के लिए इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी (आईआरसीएस) को प्रारंभिक 190,000 यूरो दान किए हैं। ईयू ने एक बयान में कहा, 'केरल के विशाल हिस्सों में आई विनाशकारी मानसूनी बाढ़ को देखते हुए ईयू ने तुरंत राहत सहायता के लिए इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी को समर्थन देने के लिए मानवीय सहायता के रूप में प्रारंभिक 1,90,000 यूरो का योगदान दिया है।'
बयान में कहा गया, 'इस सहायता से गंभीर रूप से प्रभावित इलाकों में करीब 25 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ होगा।' यूरोपीय संघ ने कहा कि उसका दिया धन तिरपाल व रसोई सेट सहित आवश्यक आश्रय और घरेलू सामानों के वितरण के माध्यम से सहायता को सुनिश्चित करेगा।
बयान में कहा गया, 'बाढ़ के बाद डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों का प्रकोप सामान्य है, जिसे देखते हुए मच्छरदानी भी उपलब्ध कराई जा रही हैं, जबकि बीमारी की रोकथाम और स्वच्छता गतिविधियों भी की जा रही हैं।'
न्यायिक जांच की मांग
कांग्रेस की केरल इकाई के अध्यक्ष एम.एम. हुसैन ने गुरुवार को कहा कि राज्य भर के बांधों के जलद्वार अंधाधुंध तरीके से खोलने के कारण राज्य में विनाशकारी बाढ़ आई। उन्होंने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की। कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने बुधवार को केरल सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था और कहा था कि सदी की सबसे विनाशकारी बाढ़ मानव जनित थी।
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हसन ने कहा कि चेन्निथला केवल यह कहने का प्रयास कर रहे थे कि भविष्य में इसके लिए उचित प्रबंधन नीति होनी चाहिए। अब राज्य के लोग भी कह रहे हैं कि बांध के जल के लिए उचित प्रबंधन नहीं था। इसलिए सरकार को न्यायिक जांच का आदेश देना चाहिए।
गोवा सरकार की मदद
गुरुवार को गोवा सरकार ने बाढ़ प्रभावित राज्य केरल की मदद के लिए गुरुवार को केरल मुख्यमंत्री के आपदा राहत कोष में पांच करोड़ रुपये देने का ऐलान किया। गोवा के मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसकी जानकारी दी।
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इससे पहले भी कई राज्य केरल को वित्तीय और अन्य सहायता पहुंचा चुके हैं। केरल में 1924 के बाद आई अब तक की सबसे प्रलयकारी बाढ़ की वजह से 3000 राहत शिविरों में लाखों लोग रह रहे हैं। 29 मई से शुरू हुई मॉनसून की बारिश के बाद यहां मृतकों की संख्या करीब 370 तक पहुंच चुकी है।
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