logo-image

कर्नाटक में सीएम येदियुरप्पा को बनाने पड़े 3 डिप्टी सीएम, जानिए क्या है वजह

अभी भी कर्नाटक में सियासी संकट कम खत्म होता नहीं दिखाई दे रहा है.

Updated on: 26 Aug 2019, 11:47 PM

highlights

  • कर्नाटक में नया सियासी फार्म्यूला
  • येदियुरप्पा ने बनाए राज्य के तीन डिप्टी सीएम
  • पहली बार कर्नाटक में तीन डिप्टी सीएम

नई दिल्‍ली:

तमाम सियासी उठापटक के बाद आखिरकार कर्नाटक में नई सरकार का गठन हो ही गया. बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक सियासी उठापटक के बाद बहुमत सिद्ध कर लिया है. लेकिन अभी भी कर्नाटक में सियासी संकट कम खत्म होता नहीं दिखाई दे रहा है. पहले मंत्रिमंडल के गठन में देरी के बाद भारतीय जनता पार्टी की अंतर्कलह की खबरें मीडिया में लगातार आ रही हैं विधायकों के समर्थकों को मंत्री न बनाए जाने पर नाराजगी भी साफ तौर पर दिखाई दे रही है. इन सब के बावजूद येदियुरप्पा ने दावा किया था कि पार्टी में जारी विवाद को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा.

सोमवार को सीएम येदियुरप्पा ने मंत्रियों के विभाग बांटे. सभी को खुश रखने की नियति से पहली बार कर्नाटक राज्य में तीन उपमुख्यमंत्रियों का ऐलान किया गया है. लक्ष्मण सावदी, गोविंद एम करजोल और अश्वथ नारायण को ये जिम्मेदारी दी गई है. जिसमें से लक्ष्मण सावदी फिलहाल ना विधायक हैं और ना ही वह विधान परिषद के सदस्य हैं.  सूत्रों के मुताबिक सीएम येदियुरप्पा और पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्य में डिप्टी सीएम बनाए जाने के खिलाफ थे. राज्य इकाई ने पार्टी आलाकमान से कहा है कि ऐसा होने पर विद्रोह होगा.

यह भी पढ़ें-कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी हुए पीएम मोदी के मुरीद? जानिए क्या है वजह

आपको बता दें कि येदियुरप्पा कैबिनेट में लिंगायत समुदाय से 7, वोक्कालिगा समुदाय से तीन, एससी-एसटी समुदाय से 4, ओबीसी से दो  और  ब्राह्मण समाज से एक मंत्री बनाया गया है. यहां हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं. उन्हें लेकर सरकार में 8 लोग लिंगायत समुदाय से हो गए हैं. इससे पहले कर्नाटक में मंत्रिमंडल के गठन के बाद पद न मिलने से नाराज विधायक अरविंद लिंबावली के समर्थकों ने प्रदर्शन किया था. समर्थकों ने अरविंद लिंबावली को मंत्री बनाने की मांग की थी. समर्थकों ने चेतावनी दी थी कि अगर वे मंत्री नहीं बनाए गए तो वह अपने समुदाय के विधायकों के साथ इस्तीफा दे देंगे.

14 महीने में ही गिर गई थी कुमारस्वामी सरकार 
आपको बता दें कि इसके पहले कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार थी. पूर्व प्रधानमंत्री एचडीदेवेगौड़ा के बेटे एच. डी. कुमारस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री थे, लेकिन सियासी उठापटक के चलते यह सरकार महज 14 महीनों में ही गिर गई थी. बहुमत परीक्षण में सरकार के पक्ष में 99, विरोध में 105 मत पड़े थे जिसके बाद गठबंधन के 16 विधायकों के बगावती हो जाने के बाद कुमारस्वामी की सरकार पर संकट आया था. इन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था इसके अलावा दो निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी थी. 

यह भी पढ़ें-बिहार के गया में नाम बदलकर रह रहे दो संदिग्ध आतंकवादी गिरफ्तार