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जी-23 में कपिल सिब्बल रह गए पीछे, गांधी परिवार के खिलाफ बयान दे पड़े अकेले

गुलाम नबी आजाद का बयान कि सोनिया गांधी के नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं है, गांधी परिवार के वफादारों के लिए राहत के रूप में आया है.

Updated on: 20 Mar 2022, 02:59 PM

highlights

  • कपिल सिब्बल के बयानों से जी-23 के कई नेताओं ने किया दूर
  • सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद आजाद ने भी दिखाई नर्मी
  • असंतुष्ट नेताओं से मिल-बैठ कर दूर किए जा रहे हैं शिकवे

नई दिल्ली:

सोनिया गांधी ने असंतुष्टों तक पहुंचने की जिम्मेदारी ली है और आंशिक रूप से उन्हें भाजपा से संयुक्त रूप से लड़ने के लिए मनाने में सफल रही हैं. साथ ही गुलाम नबी आजाद का बयान कि सोनिया गांधी के नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं है, गांधी परिवार के वफादारों के लिए राहत के रूप में आया है. हालांकि एक व्यक्ति, कपिल सिब्बल चिंतित होंगे क्योंकि उन्होंने मांग की थी कि गांधी परिवार को पीछे हट जाना चाहिए. आजाद ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और साथी जी-23 नेता कपिल सिब्बल के नेतृत्व परिवर्तन के विचारों से खुद को और समूह को दूर कर लिया. आजाद ने कहा कि सोनिया गांधी के पीछे हटने की पेशकश को सभी समूहों ने खारिज कर दिया है, जिसमें वह भी शामिल हैं और हम चाहते हैं कि वह बनी रहें.

सोनिया के नेतृत्व पर नहीं उठाया किसी ने सवाल
1998 में सोनिया गांधी के सत्ता संभालने के बाद से कांग्रेस का एक अलिखित नियम है कि किसी ने भी उनके नेतृत्व पर सवाल नहीं उठाया कि वह चुनाव में हार गईं या जीतीं. 2019 की हार के बाद राहुल गांधी ने दोष लिया और पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. नवीनतम चुनावी पराजय के बाद सिब्बल ने पार्टी की भावनाओं को गलत बताया और गांधी परिवार को निशाना बनाया, जिनके पास अभी भी पार्टी में बहुमत का समर्थन है. आजाद के आवास पर केवल 18 लोग ही बैठक में आए और यहां तक कि मुकुल वासनिक ने भी, जो उनके बयान के हस्ताक्षरकर्ता हैं दूरी बनाए रखी. कांग्रेस के असंतुष्ट समूह ने संभावित प्रतिस्थापन के रूप में सचिन पायलट और मुकुल वासनिक के नामों को उजागर किया है, लेकिन दोनों गांधी परिवार के खिलाफ नहीं जा सकते क्योंकि राजस्थान में पायलट के अपने लक्ष्य हैं और वासनिक परिवार के करीब रहे हैं.

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आजाद ने भी मुलाकात बाद दिए नर्मी भरे बयान
वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद शुक्रवार को पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और कहा था कि अध्यक्ष पद के लिए अभी कोई रिक्ति नहीं है और किसी ने भी उन्हें छोड़ने के लिए नहीं कहा है. इसके बाद जी-23 के पार्टी में परिवर्तन की मांग कमजोर पड़ी है. उन्होंने कहा, 'किसी ने नहीं कहा कि श्रीमती गांधी को पद छोड़ देना चाहिए. नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं है. हम भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे. वह कांग्रेस अध्यक्ष हैं, हम पार्टी के नेता हैं, संगठन के पुनर्गठन के लिए जो फीडबैक दिया जाता है वह जनता के लिए नहीं है... नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं है, जब श्रीमती गांधी ने (पीछे हटने के लिए) पेशकश की थी, हम सभी ने इसे खारिज कर दिया.' एक घंटे से अधिक समय तक चली महत्वपूर्ण बैठक के बाद आजाद ने मीडियाकर्मियों से कहा, 'जब पार्टी संगठनात्मक चुनाव के लिए जाएगी, तब विचार-विमर्श होगा.उस समय यह तय किया जाएगा. कांग्रेस अध्यक्ष का कोई पद रिक्त नहीं है.'

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आंतरिक लड़ाई बढ़ रही संघर्ष विराम की ओर
उनकी टिप्पणी से संकेत मिलता है कि कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई एक संघर्ष विराम की ओर बढ़ रही है क्योंकि गांधी पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के साथ असंतुष्टों तक सक्रिय रूप से पहुंच रहे हैं, जिनका हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ अच्छे समीकरण नहीं रहे हैं. गुरुवार को उनसे मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं. बाद में हुड्डा ने जी-23 नेताओं से मुलाकात की. इसी तरह गांधी परिवार जी-23 समूह के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंच रहा है, जो व्यक्तिगत रूप से या एक दूत के माध्यम से पार्टी के कामकाज में भारी बदलाव की मांग कर रहे हैं. जी-23 की बुधवार को बैठक हुई और एक बयान जारी कर कांग्रेस संगठन को नए सिरे से तैयार करने और चुनाव प्रक्रिया में शामिल लोगों की जवाबदेही तय करने की मांग की गई.