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कमलनाथ के हाथ होगी कांग्रेस को सफलता दिलाने की कुंजी, जानें कांग्रेस का नया मास्टर स्ट्रोक

हिंदी भाषी राज्यों में बढ़ती भाजपा की लोकप्रियता को फिसड्डी साबित करने के लिए कांग्रेस विपक्षी दलों को एकजुट कर महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है.

Updated on: 15 Aug 2021, 02:12 PM

नई दिल्ली:

भाजपा के अजेय रथ को रोकने के लिए विपक्षी दल के नेता एकजुट हो रहे हैं. वहीं हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता से चिंतित कांग्रेस अपनी पार्टी में बड़े फेर-बदल करने की होड़ में जुट गई है. चुनावों में कांग्रेस के सामान्य प्रदर्शन ने पार्टी के आलाकामान की चुनौती बढ़ा दी है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा की सफलता में हिंदी भाषी राज्यों का बड़ा योगदान रहा है. बहरहाल, कांग्रेस प्रदेश से लेकर देश की राजनीति में सफलता की कुंजी तलाश रही है. हालांकि देश के कई हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. इसके बाद भी भाजपा के मुकाबले कांग्रेस फिसड्डी साबित हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में कांग्रेस अभी से जुट गई है. हिंदी भाषी राज्यों में बढ़ती भाजपा की लोकप्रियता को फिसड्डी साबित करने के लिए कांग्रेस विपक्षी दलों को एकजुट कर महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस में कमल नाथ को बड़ी जिम्मेवारी सौंपी जा सकती है. मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को हिंदी भाषी राज्यों में साथी दलों के साथ समन्वय स्थापित करने का जिम्मा कांग्रेस सौंप सकती है. 

सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को कांग्रेस में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिए जाने की पेशकश भी की गई है. बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह भी कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा चुके हैं.

कमलनाथ का नाम ही क्यों ? 

दरअसल में भारतीय राजनीति में कमल नाथ के गैर एनडीए दलों के प्रमुख नेताओं से व्यक्तिगत संबंध रहने के चलते विस्वसनीय माना जाता है. शरद पवार, ममता बनर्जी, लालू यादव से लेकर मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं से भी उनकी नजदीकी रही है. कांग्रेस में कमल नाथ की भूमिका समन्वय स्थापित करने वाले नेताओं में है. राजनीति के अलावा उद्योग जगत में भी कमलनाथ की अच्छी पकड़ है. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश या केंद्र की राजनीति में पहचान जाहिर कर चुके कमलनाथ कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि वह प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति में पहचान रखते हैं. 


ज्योतिरादित्य सिंधिया की काट बनने को तैयार कमलनाथ 

2018 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन यह सरकार मात्र 15 महीने ही चल पाई. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता गंवाने के लिए कथित रूप से जिम्मेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया से सियासी अदावत का हिसाब चुकता करने के लिए कमलनाथ ने प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियों को तेज कर दिया है और लगातार प्रदेश की भाजपा सरकार व केन्द्र की मोदी सरकार के कामकाजों पर वह सवाल उठा रहे हैं.