जल्लीकट्टू पर विरोध प्रदर्शन जारी, शुक्रवार को बंद रहेगा तमिलनाडु, SC के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाने पर राज्य सरकार कर रही विचार
जल्लीकट्टू को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है। सुपरस्टार रजनीकांत, ए आर रहमान, विश्वनाथन आनंद और श्री श्री रविशंकर के जल्लीकट्टू में समर्थन आने के बाद जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे लोगों को बल मिला है।
highlights
- जल्लीकट्टू के समर्थन को लेकर तमिलनाडु में तेज हुआ विरोध प्रदर्शन
- विपक्षी दल द्रमुक के शुक्रवार को राज्य में रेल रोको आंदोलन की अपील की
- जल्लीकट्टू के समर्थन में स्कूलों, कॉलजों और कारोबारियों ने किया बंद का समर्थन
New Delhi:
जल्लीकट्टू को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है। सुपरस्टार रजनीकांत, ए आर रहमान, विश्वनाथन आनंद और श्री श्री रविशंकर के जल्लीकट्टू में समर्थन आने के बाद जल्लीकट्टू के समर्थन में जारी विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है।
ए आर रहमान ने जल्लीकट्टू के समर्थन में शुक्रवार को उपवास रखने का फैसला लिया है वहीं चेन्नै के मरीना बीच पर हजारों की संख्या में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच जल्लीकट्टू के समर्थन में राज्य के कारोबारियों, दफ्तरों, स्कूलों और कॉलेजों को बंद रखने का फैसला लिया गया है।
मोदी पर भड़के प्रदर्शनकारी
जल्लीकट्टू पर लगे प्रतिबंध को हटाए जाने के लिए अध्यादेश की मांग को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक को कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद प्रदर्शनकारियों ने मोदी के खिलाफ विरोध करना शुरू कर दिया।
मुख्यमंत्री के साथ हुई मुलाकात में मोदी ने कहा था कि मामले के सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से केंद्र इस मामले में कुछ नहीं कर सकता लेकिन राज्य सरकार की तरफ से लिए गए फैसले का केंद्र समर्थन करेगा।
और पढ़ें: जल्लीकट्टू पर संग्राम! ए आर रहमान, श्री श्री ने की प्रतिबंध हटाने की मांग
पिछले साल 8 जनवरी को केंद्र सरकार ने तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर लगे प्रतिबंधों में कुछ ढील के साथ अधिसूचना जारी किया था। बाद में सरकार की इस अधिसूचना को पीटा (पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स) के साथ अन्य एनजीओ ने चुनौती दी थी। अदालत ने इस याचिका पर अपने फैसले को सुरक्षित रखा है।
मोदी से मुलाकात के बाद पनीरसेल्वम ने कहा, 'हम जल्द ही केंद्र के समर्थन से इस खेल को फिर से बहाल किए जाने की दिशा में कदम उठाएंगे।' चेन्नई लौटने के बाद पनीरसेल्वम ने राज्य के एडीशनल एडवोकेट जनरल सुब्रमण्यन प्रसाद से मिलकर अन्य कानूनी विकल्पों पर चर्चा की है। राज्य में पोंगल के दौरान जल्लीकट्टू का आयोजन किया जाता है।
विपक्ष ने बुलाया बंद
मरीना बीच पर जमा प्रदर्शनकारी केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। इस बीच राज्य की विपक्षी पार्टी द्रमुक (डीएमके) ने जल्लीकट्टू पर लगी सुप्रीम रोक के रोक को हटाने के लिए अध्यादेश की मांग को लेकर शुक्रवार को राज्य भर में रेल रोको का आह्वान किया है।
द्रमुक नेता एम के स्टालिन ने कहा, 'देश के अटॉर्नी जनरल ने साफ कहा है कि राज्य सरकार इस मामले में अध्यादेश पास कर सकती है लेकिन इस मामले में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री अभी तक खामोश है।'
स्टालिन ने कहा, 'जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रस्ताव पारित करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। यह चौंकाने वाली बात है कि केंद्र सरकार छात्रों के विरोध प्रदर्शन को नजरअंदाज कर रहा है। मुख्यमंत्री को हर संभव उपाय करने चाहिए ताकि छात्रों के आंदोलन को खत्म किया जा सके।'
वहीं पीएमके नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदास ने कहा कि अगर केंद्र जल्लीकट्टू को बहाल किए जाने को लेकर अध्यादेश नहीं लाता है तो वह 26 जनवरी को जल्लीकट्टू का आयोजन करेंगे।
चेन्नै के वकीलों के संगठन ने भी राज्य में एक दिन के सांकेतिक विरोध का आह्वान किया है। वहीं मद्रास बार एसोसिएशन ने भी शुक्रवार को अदालती कार्यवाही का विरोध करने का फैसला लिया है। एमबीए की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, 'जल्लीकट्टू के समर्थन में युवाओं पर तमिलनाडु के लोगों का अभूतपूर्व समर्थन मिला है। एमबीए के सदस्य इसके समर्थन में 20 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे।'
अटॉर्नी जनरल की राज्य को सलाह
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा जहां तक राज्य सरकार के अधिकार का सवाल है तो वह इस मामले में अध्यादेश ला सकती है लेकिन केंद्र की इसमें कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा, 'यह केंद्र के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है क्योंकि संविधान में केंद्र और राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में साफ फर्क किया गया है। जहां तक खेल का सवाल है तो यह राज्य के विशेष क्षेत्राधिकार में आता है।'
रोहतगी ने कहा, 'राज्य सरकार पारंपरिक खेल को ध्यान में रखते हुए कानून बना सकता है लेकिन उसे ध्यान रखना होगा कि ऐसे कानून से जानवरों के साथ क्रूरता नहीं हो। जानवरों की दशा के बारे में सोचे बगैर केवल खेल भावना के तहत कुछ नहीं किया जाना चाहिए। स्पेन में भी बुल फाइट होती है। ऐसे भी कई मामले हैं जहां सांडों को मार दिया जाता है।'
और पढ़ें: जल्लीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के खिलाफ प्रदर्शन
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