'ऐंटी रोमियो स्क्वाड' आखिर शेक्सपियर के रोमियो ने क्या बिगाड़ा था ?
योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मनचलों को सबक सिखाने के लिए मुहिम छेड़ दी है। सरकार ने इसके लिए ऐंटी रोमियो स्क्वाड का गठन किया है। उत्तर प्रदेश की तर्ज पर पहले झारखंड तो अब मध्यप्रदेश में भी ऐंटी रोमियो स्क्वाड। शुरू कर दिया गया है।
नई दिल्ली:
योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मनचलों को सबक सिखाने के लिए ऐंटी रोमियो स्क्वाड का गठन किया है। उत्तर प्रदेश की तर्ज पर पहले झारखंड तो अब मध्यप्रदेश में भी ऐंटी रोमियो स्क्वाड शुरू करने की बात कही जा रही है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मनचलों और महिलाओं के साथ अत्याचार करने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के संकेत दिए हैं।
पुलिस की टीम इन राज्यों में दल-बल के साथ बड़े बाज़ारों और पार्कों में ऐसे युवा युगल जोड़ियों की तलाश कर रहे हैं। सरकार के इस मुहिम की चर्चा हर तरफ हो रही है। महिला सुरक्षा के मद्देनजर कुछ लोग इस फैसले के पक्ष में नजर आ रहें हैं तो वहीं इस मुहिम के नाम में रोमियो नाम के इस्तेमाल पर भी सवाल उठ रहा है। क्या मनचलों की तुलना 'रोमियो' से करना ठीक है।
मनचलों और शेक्सपियर के रोमियो में अंतर है
शेक्सपियर ने रोमियो का किरदार गढ़ते हुए कभी नहीं सोचा होगा कि कई सालों बाद भारत में 'रोमियो' बदनाम हो जाएगा। वही रोमियो जो मोहब्बत का प्रतीक माना जाता था।
निश्चल और पवित्र प्रेम का प्रतीक रोमियों किसी भी राज्य के मनचलों से कई मायनों में भिन्न था। शेक्सपियर के रोमियो ने कभी किसी को नहीं छेड़ा, किसी और लड़की को बुरी नजर से नहीं ताका, किसी को भद्दे इशारे नहीं किए। उसने तो सिद्दत से मोहब्बत की अपनी जुलियट से। उसका मोहब्बत किसी सड़कछाप आशिक से अलग था। वह जितना प्यार जुलियट से करता था उतना ही प्यार जुलियट भी उससे करती थी।
शेक्सपियर के रोमियो में प्यार भी था, त्याग और बलिदान की भावना भी थी। उसका प्रेम कामुकता से अलग था। दो युवा लोगों के बीच सहमति से उपजे प्रेम की तुलना भला सड़कछाप मनचलों से करना कहां तक उचित है। क्या रोमियों के नाम पर महिला सुरक्षा के लिए बनाया गया स्क्वाड का नाम रखना उचित है।
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कौन था रोमियो
रोमियो तो शेक्सपियर का एक बड़ा किरदार था। जिसके प्यार की मिसालें दी जाती हैं। कि उसने अपनी माशूका जूलियट के लिये क्या क्या नहीं किया और इतिहास में अमर हो गया। सवाल फिर वहीं उठता है कि मनचले और सरफिेरे आशिकों को भारत में कब से रोमिया बुलाया जाने लगा। और ऐसे रोमियो के पीछे पुलिस क्यों पड़ी है। मुहब्बत का हीरो भारत पहुंचते पहुंचते ज़ीरो कैसे हो गया। वो रोमिया जिसने अपनी माशूका के प्यार में अपनी जान दे दी थी।
दोनों का प्यार इतना सच्चा था कि मरने के बाद भी वह हमेशा साथ ही रहे। बेनोवोलियो अपने चचेरे भाई रोमियो, मोंटेग के बेटे के साथ रोमियो की स्थिति के बारे में बातचीत करता था। बेनोवोलियो को यह पता चलता है कि यह कैसलेटर की भतीजी में से एक, रोज़ालिन नाम की लड़की से प्यार करता है।
एक दिन रोज़ालिन के मोहब्बत में टूट चुका रोमियो एक पार्टी में पहुंचा, जहां उसकी मुलाकात जूलिएट से हुई और उन दोनों में प्यार हो गया। जूलिएट के माता-पिता ने जूलिएट को पेरिस से शादी करने के लिए कहा। लेकिन जूलिएट के माता-पिता को नही पता था की जूलिएट ने पहले से रोमियो से शादी कर ली। शुरू-शुरू में जूलिएट ने अपने माता पिता से शादी करने से मना कर दिया क्योकि जूलिएट ने अपनी मौत का बहाना बनाकर रोमियो के साथ भागने की योजना बना रखी थी।
यह योजना भी उन्होंने फ्रिअर लौरेंस के साथ मिलकर ही बनायी थी। दुर्भाग्यवश दोनों परिवारों के बीच जंग छिड़ गई। इस लड़ाई में रोमियो के एक करीबी दोस्त की मौत भी हो गई, जिसके बदले में रोमियो ने भी जूलिएट के चचेरे भाई की हत्या कर दी।
रोमियो को देश से बाहर जाने की सजा मिली। जूलिएट के परिवार वालों ने उसकी शादी का फैसला कर लिया था। शादी से बचने के लिए वह नींदवाली दवाई पीकर सो गई, ताकि सबको लगे कि वह मर चुकी है। रोमियो को इस नाटक के बारे में कुछ पता नहीं था। जूलिएट के मरने की खबर सुनकर वह वहां पहुंचा और उसने ज़हर पी लिया। जब जूलिएट का नशा उतरा तो सामने अपने प्रेमी का लाश देखकर वह सन्न रह गई। जूलिएट ने यह देख रोमियो के छुरे से ही खुद को मार डाला और आखिरकार दोनों की आत्मा एक हो गई।
महज़ भटके हुए युवा जिनकी हरकतों को कुछ सरकारें बेजा मानकर उनपर अंकुश लगाना ज़रूरी समझती हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या सच्चे प्यार पर पहरा लगाया जा सकता है।
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