Army ने शुरू की साइबर जासूसी की जांच, WhatsApp पर खुफिया एजेंसियों की नजर
तीन साल पहले भारतीय सेना ने ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था, जो महिलाओं की फर्जी आईडी के दम पर सेना से जुड़े लोगों से जानकारियां हासिल करते थे और फिर उनका इस्तेमाल पड़ोसी मुल्क की खुफिया एजेंसियां किया करती थी.
highlights
- सेना ने शुरू की जासूसी की जांच
- वॉट्सऐप के जरिए हो रही जासूसी
- तीन साल पहले नौसेना के कई अधिकारी हुए थे गिरफ्तार
नई दिल्ली:
सूचना पर नियंत्रण किसी भी देश का आज सबसे महत्वपूर्ण हथियार है. इसमें भी साइबर सिक्योरिटी की भूमिका सबसे ज्यादा है. इसीलिए हर देश जासूसी के हाईटेक तरीके अपना रहा है. फिर पाकिस्तान तो चौबीसों घंटे भारत में घुसपैठ की ही कोशिश करता रहता है. ऐसे ही एक मामले की जांच भारतीय सेना कर रही है, जिसमें वॉट्सऐप के जरिए संवेदनशील जानकारियों के लीक होने की बात है. सेना उन संदिग्ध वॉट्सऐप ग्रुप्स पर नजर रखे हुए है, जिसका संचालन विदेशी खुफिया एजेंसियों से जुड़े लोग कर रहे हैं. ऐसे ग्रुपों में कई तरीकों से सेना के लोगों को जोड़ने की कोशिश है. बता दें कि तीन साल पहले भारतीय सेना ने ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था, जो महिलाओं की फर्जी आईडी के दम पर सेना से जुड़े लोगों से जानकारियां हासिल करते थे और फिर उनका इस्तेमाल पड़ोसी मुल्क की खुफिया एजेंसियां किया करती थी. यही वजह है कि भारतीय सेना पूरे मामले को लेकर बेहद गंभीर है और अपने कई अधिकारियों से भी इस मामले में पूछताछ कर रही है.
ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत मामले की जांच जारी
सेना ने जुड़े खास सूत्रों ने बताया कि सोशल मीडिया (Social Media) के माध्यम से संवेदनशील जानकारियों का लीक होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. ये लापरवाही भी हो सकती है. ऐसे में इस मामले की जांच बेहद अहम है. उस सूत्र ने अहम जानकारियों के लीक होने से इनकार भी नहीं किया है. इस मामले में सेना ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट (1923) के तहत मामले की जांच कर रही है. ये एक्ट सरकारी अधिकारियों, नागरिकों पर भी लागू होता है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हों. ऐसे मामलों में 14 साल जेल की सजा का प्रावधान है.
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सोशल मीडिया गाइडलाइन्स जारी
सेना के प्रवक्ता (Army Spokesperson) ने ऐसे किसी भी मामले से इनकार किया है. हालांकि मामले से जुड़े अधिकारियों ने ये बात मानी है कि संवेदनशील जानकारियां वॉट्सऐप ग्रुपों के जरिए लीक हुई हैं. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि कितने अधिकारी इस जांच के दायरे में आ रहे हैं, या किस तरह का डाटा लीक हुआ है. बता दें कि सुरक्षा बलों से जुड़े अधिकारियों-सैनिकों-कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया गाइडलाइन्स (Social media Guidelines) जारी की गई हैं, जिसमें लगातार बदलाव भी होता रहता है. ताकी ऐसे किसी भी खतरे से निपटा जा सके.
तीन साल पहले खुला था ऐसा ही मामला
बता दें कि सेना से जुड़े अधिकारियों-सैनिकों के स्मार्टफोन-सोशल मीडिया के इस्तेमाल से संवेदनशील जानकारियां लीक होने का एक मामला तीन साल पुरना है. जिसमें नौसेना के कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था. वो लोग एक जासूसी रैकेट के झांसे में आ गए थे, जिसका जाल सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के एजेंटो ने बिछाया था. इसमें एक महिला के नाम से आईडी बनी थी और वो नौसेना की अहम जानकारियां इनसे निकाल कर पाकिस्तानी एजेंसियों के पास भेज रही थी. इसके अलावा उसी साल कई ऐसे मामले भी सामने आए थे, जिसमें पाकिस्तानी एजेंसियों की ओर से चलाए जा रहे ग्रुपों में भारतीय सेना के अधिकारियों-सैनिकों को बिना उनकी मर्जी के जोड़ा गया था.
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