'सीडीएस रावत ने कहा, चीन-पाकिस्तान की हरकत से भारतीय सेना को सतर्क रहने की जरूरत'
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत ने कहा है कि चीन और पाकिस्तान की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए भारतीय सशस्त्र बलों को सतर्क रहने की जरूरत है. साथ ही विवादित सीमाओं और तटीय क्षेत्रों में भारतीय सेनाओं को साल भर तैनाती जरूरी है.
highlights
- एक कार्यक्रम के दौरान बिपिन रावत ने कही यह बात
- कहा-सीमा पर भारतीय सेनाओं को साल भर तैनात रहने की जरूरत
- पिछले अनुभव से भारतीय सेना राष्ट्रीय क्षेत्र की रक्षा के लिए सतर्क और दृढ़
नई दिल्ली:
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत ने कहा है कि चीन और पाकिस्तान की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए भारतीय सशस्त्र बलों को सतर्क रहने की जरूरत है. साथ ही विवादित सीमाओं और तटीय क्षेत्रों में भारतीय सेनाओं को साल भर तैनात रहने की जरूरत है. सीडीएस ने ऑल इंडिया रेडियो में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सरदार पटेल स्मृति व्याख्यान देते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा, "सरदार पटेल जो सबसे ज्यादा दूरदर्शी थे, उन्होंने भारत और चीन के बीच एक बफर राज्य (एक ऐसा छोटा देश जो दो दुश्मन देशों के बीच स्थित होता है और क्षेत्रीय संघर्ष को रोकता है) के रूप में एक स्वतंत्र तिब्बत की आवश्यकता पर जोर दिया था, जैसा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ उनके पत्राचार में पाया जा सकता है,"
यह भी पढ़ें : 1971 युद्ध में भारतीय सेना का शौर्य, सिर्फ 14 दिनों में पाकिस्तान से जन्मा बांग्लादेश
1962 के युद्ध ने देश को हिला कर रख दिया था
रावत ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी कोई देश अपने सशस्त्र बलों की उपेक्षा करता है, तो बाहरी ताकतें उसका तेजी से शोषण करती हैं. रावत ने कहा कि 1950 के दशक में भारत ने इतिहास के इस महत्वपूर्ण सबक को नजरअंदाज कर दिया और सुरक्षा तंत्र पर ध्यान नहीं दिया और 1962 में चीन ने देश को हिलाकर रख दिया. रावत ने कहा, "हमें एक अपमानजनक अनुभव के माध्यम से इस सबक को फिर से सीखना पड़ा. 1962 के बाद हमने चीनियों के खिलाफ कई झड़पें की हैं. इनमें 1967 में सिक्किम के नाथू ला में, 1986 में वांगडुंग में, 2017 में डोकलाम में और हाल ही में लद्दाख में हुई झड़पें शामिल है.
लद्दाख में संघर्ष के बाद दोनों देशों में है तनातनी
उन्होंने कहा कि इन परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय सशस्त्र बल राष्ट्रीय क्षेत्र की रक्षा के लिए सतर्क और दृढ़ हैं. उन्होंने कहा, इससे चीन और हमारे नेताओं को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और शांति बनाए रखने के लिए समझौतों और संबंधों में सुधार के लिए कई अन्य विश्वास-निर्माण उपायों को आगे बढ़ाने में मदद मिली है. गौरतलब है कि भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मौजूदा सीमा गतिरोध पिछले साल मई में पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील क्षेत्रों में एक हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ था. जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Weekly Horoscope 29th April to 5th May 2024: सभी 12 राशियों के लिए नया सप्ताह कैसा रहेगा? पढ़ें साप्ताहिक राशिफल
-
Varuthini Ekadashi 2024: शादी में आ रही है बाधा, तो वरुथिनी एकादशी के दिन जरूर दान करें ये चीज
-
Puja Time in Sanatan Dharma: सनातन धर्म के अनुसार ये है पूजा का सही समय, 99% लोग करते हैं गलत
-
Weekly Horoscope: इन राशियों के लिए शुभ नहीं है ये सप्ताह, एक साथ आ सकती हैं कई मुसीबतें