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Rafale Fighter Jets: चीन से लगी पूर्वी सीमा पर गरजेगा राफेल, हासिमारा में तैनाती जल्द

Rafales in Hasimara Air Base: हासिमारा एयरबेस सिक्किम, भूटान और तिब्बत के त्रिकोण पर स्थित है, जिसे 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद तूफानी एयरक्राफ्ट के साथ स्थापित किया गया था.

Updated on: 21 Jun 2021, 11:35 AM

highlights

  • फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान की हुई है डील
  • 23 राफेल अब तक फ्रांस से भारत आ चुके हैं
  • पहली स्क्वाड्रन अंबाला में गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के नाम से बनी है

नई दिल्ली:

चीन को उसकी किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने खास तैयारी की है. चीन के साथ लगती पूर्वी सीमा पर जल्द ही राफेल विमानों की तैनाती की जाएगी. पश्चिम बंगाल स्थित हासिमारा एयरबेस पर राफेल विमानों की औपचारिक तैनाती से पहले भारतीय वायुसेना ने दूसरी स्क्वॉड्रन तैयार कर ली है. इस स्क्वाड्रन को '101 फॉल्कन्स ऑफ छम्ब एंड अखनूर' नाम दिया गया है. हाशिमारा बेस उसी विवादित डोकलम इलाके के बेहद करीब है जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 75 दिन लंबा टकराव हुआ था. हालांकि, अभी तक हाशिमारा बेस पर राफेल के लिए तैयार किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर और नए रनवे के बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं की गई है.

जानकारी के मुताबिक अंबाला में राफेल की पहली स्क्वॉड्रन 17 गोल्डेन ऐरोज 18 लड़ाकू विमानों के साथ पूरी तरह सक्रिय और तैयार है. वहीं 101 स्क्वॉड्रन में अभी पांच राफेल लड़ाकू विमान है, जो हाल ही में फ्रांस से भारत आए हैं. सूत्रों ने कहा, '101 स्क्वॉड्रन की औपचारिक सेरेमनी में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते देरी हुई है. लेकिन अब एक महीने के भीतर इस कार्यक्रम को पूरा कर लिया जाएगा.' बता दें कि ग्रुप कैप्टन रोहित कटारिया 17 स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर हैं, जबकि ग्रुप कैप्टन नीरज झाम्ब 'जैमी' 101 स्क्वॉड्रन को लीड कर रहे हैं. भारतीय वायुसेना ने अंबाला और हासिमारा को 4.5 जनरेशन के राफेल विमानों के लिए 'मेन ऑपरेटिंग होम बेस' के तौर पर चुना है. हालांकि ओमनी रोल लड़ाकू विमान राफेल की खासियत ये है कि यह देश के किसी भी हिस्से में ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है.

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क्यों खास है हाशिमारा एयरबेस
हाशिमारा एयर बेस चीन और भूटान ट्राइजंक्शन के करीब है. ऐसे में यहां स्क्वॉड्रन बनाने से चीन के किसी भी हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा. हाशिमारा में तैनात रफाल फाइटर जेट्स की जिम्मेदारी सिक्किम से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक से सटी एलएसी की होगी. हाशिमारा बेस उसी विवादित डोकलम इलाके के बेहद करीब है जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 75 दिन लंबा टकराव हुआ था. हालांकि, अभी तक हाशिमारा बेस पर राफेल के लिए तैयार किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर और नए रनवे के बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं की गई है. राफेल का पहला स्क्वॉड्रन अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर है. राफेल फाइटर जेट के पहले स्क्वॉड्रन में 5 फाइटर जेट हैं. इसे पिछले साल सितंबर महीने में एयरफोर्स में शामिल किया गया था. इन्हें ‘गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन’ में जगह मिली थी. 

फ्रांस के साथ हुई है 36 विमानों की डील
फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे के बाकी बचे विमानों के अगले साल अप्रैल तक आने की उम्मीद है. सितंबर 2016 में भारत सरकार ने फ्रांस के साथ 36 दो इंजन वाले राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा 59 हजार करोड़ में किया था. सौदे के तहत भारत को 23 विमान मिल गए हैं, जबकि 13 और मिलने बाकी हैं. एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने शनिवार को कहा कि भारतीय वायुसेना राफेल विमानों की तैनाती के अपने लक्ष्य पर निश्चित समय सीमा के साथ आगे बढ़ रही है, जो बिल्कुल सटीक है.

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राफेल की यह है खासियत
ये सभी राफेल फाइटर विमान MICA और मेट्योर एअर टू एअर मिसाइल से लैस हैं, इसके अलावा इनमें स्कैल्प एअर टू ग्राउंड क्रूज मिसाइल से हमला करने की क्षमता मौजूद है. 780 से 1650 किलोमीटर रेंज की युद्धक क्षमता से लैस राफेल के पास खतरनाक युद्धक हथियारों, एडवांस्ड एवियोनिक्स, रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली है, जो दुश्मन के जैमिंग को गच्चा दे सकती है और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी राफेल अपनी श्रेष्ठता साबित कर सकता है. राफेल विमान 300 किलोमीटर रेंज तक हवा से जमीन पर मार करने की क्षमता वाली स्कैल्प मिसाइल से लैस है. उसके पास हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल भी है, जो 120 से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित किसी भी टारगेट के धुर्रे उड़ा सकती है. ऐसी क्षमता फिलहाल किसी भी पाकिस्तानी या चीनी जेट के पास नहीं है. 20 से 70 किलोमीटर की क्षमता वाली हैमर मिसाइल बंकर, कठोर शेल्टर और दुश्मन के अन्य टारगेट को ध्वस्त करने के लिए डिजाइन की गई है.