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परमाणु ऊर्जा संयंत्र( Photo Credit : News Nation)
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केंद्र सरकार ने 2017 में 10 स्वदेशी विकसित दबावयुक्त भारी जल संयंत्र के निर्माण को मंजूरी दी गई थी.
परमाणु ऊर्जा संयंत्र( Photo Credit : News Nation)
भारत अगले तीन वर्षों में एक साथ 10 परमाणु रिएक्टरों का निर्माण करेगा. कर्नाटक के कैगा में 2023 में 700 मेगावाट के परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए नींव डालने के साथ इसकी शुरुआत की जाएगी. 2017 में 10 स्वदेशी विकसित दबावयुक्त भारी जल संयंत्र के निर्माण को मंजूरी दी गई थी. प्रत्येक परमाणु संयंत्र की 700 मेगावाट क्षमता होगी. 10 संयंत्रों के निर्माण पर 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी. वर्तमान में देश में 22 रिएक्टरों का संचालन हो रहा है. इन रिएक्टरों की कुल क्षमता 6780 मेगावाट की है.
नींव के लिए कंक्रीट डालने (एफपीसी) के साथ परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का निर्माण अब पूर्व-परियोजना चरण से आगे बढ़कर निर्माण को गति देने का संकेत है, जिसमें परियोजना स्थल पर उत्खनन गतिविधियां शामिल हैं. परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के अधिकारियों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति को बताया कि कैगा इकाइयों 5 और 6 का एफपीसी 2023 में अपेक्षित है.गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत परियोजना इकाइयों 3 और 4 और माही बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना इकाई 1 से 4 का एफपीसी 2024 में अपेक्षित है.2025 में चुटका मध्य प्रदेश परमाणु ऊर्जा परियोजना इकाइयों 1 और 2 का एफपीसी होने की संभावना है.
केंद्र सरकार ने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की लागत कम करने और निर्माण के समय में तेजी लाने के उद्देश्य से एक बार में 10 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण को मंजूरी दी थी.ऐसा पहली बार हुआ है.
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परमाणु ऊर्जा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि फ्लीट मोड परियोजनाओं के लिए थोक स्तर पर खरीद की जा रही है.इसके तहत पिछले दिनों स्टीम जेनरेटर, एसएस 304 एल जाली ट्यूब और एंड शील्ड के लिए प्लेट, प्रेशराइजर फोर्जिंग, ब्लीड कंडेनसर फोर्जिंग, 40 स्टीम जनरेटर के लिए इंकोलॉय-800 ट्यूब, रिएक्टर हेडर के निर्माण के लिए ऑर्डर दिए गए थे.उन्होंने कहा कि गोरखपुर इकाई 3 और 4 तथा कैगा इकाई 5 और 6 के टरबाइन आइलैंड के लिए इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण पैकेज प्रदान किए गए हैं.फ्लीट मोड के तहत पांच साल की अवधि में एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण की उम्मीद है.
गुजरात के काकरापार में 700 मेगावाट का रिएक्टर पिछले साल 10 जनवरी को ग्रिड से जोड़ा गया था, लेकिन अब तक इसका वाणिज्यिक संचालन शुरू नहीं हुआ है.स्वदेशी विकसित दबावयुक्त भारी जल संयंत्र (पीएचडब्ल्यूआर) प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन के रूप में और भारी जल को मॉडरेटर के रूप में उपयोग करते हैं, जो भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के मुख्य आधार के रूप में उभरे हैं.
भारत के 220 मेगावाट के पहले दो पीएचडब्ल्यूआर 1960 के दशक में कनाडा के सहयोग से राजस्थान के रावतभाटा में स्थापित की गई थी.लेकिन 1974 में भारत के शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षणों के बाद कनाडा के समर्थन वापस ले लेने से दूसरा रिएक्टर महत्वपूर्ण घरेलू कंपनियों के सहयोग से बनाया जाना था.
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने मानकीकृत डिजाइन और बेहतर सुरक्षा उपायों के साथ 220 मेगावाट के 14 पीएचडब्ल्यूआरएस बनाए हैं.भारतीय इंजीनियरों ने बिजली उत्पादन क्षमता को 540 मेगावाट तक बढ़ाने के लिए डिजाइन में और सुधार किया और ऐसे दो रिएक्टरों को महाराष्ट्र के तारापुर में शुरू किया गया.क्षमता को बढ़ाकर 700 मेगावाट करने के लिए और बेहतर सुधार किए गए.