रूस ने फिर दिया साथ, अब भारत में बनेंगी AK-203 रायफल

एके-203 रायफल, एके-47 (AK-47) रायफल का नवीनतम और सर्वाधिक उन्नत प्रारूप है. यह ‘इंडियन स्मॉल ऑर्म्स सिस्टम’ (इनसास) 5.56x45 मिमी रायफल की जगह लेगा.

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Nihar Saxena
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AK 203

दुश्मन के लिए घातक साबित होगी एके-203.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने अपनी रूस यात्रा के दौरान एक संयुक्त उपक्रम के तहत अत्याधुनिक एके-203 रायफल भारत में बनाने के लिये एक बड़े समझौते को अंतिम रूप दिया है. एके-203 रायफल, एके-47 (AK-47) रायफल का नवीनतम और सर्वाधिक उन्नत प्रारूप है. यह ‘इंडियन स्मॉल ऑर्म्स सिस्टम’ (इनसास) 5.56x45 मिमी रायफल की जगह लेगा. रूस की सरकारी समाचार एजेंसी ‘स्पुतनिक’ के मुताबिक भारतीय थलसेना को लगभग 7,70,000 एके-203 रायफलों की जरूरत है, जिनमें से 100,000 का आयात किया जाएगा और शेष का विनिर्मिण भारत में किया जाएगा.

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मेक इन इंडिया को देगा गति
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘दोनों पक्षों ने एके 203 रायफल के उत्पादन के लिये भारत-रूस संयुक्त उद्यम की भारत में स्थापना को लेकर अंतिम चरण की चर्चा का स्वागत किया है.' बयान में कहा गया है कि यह 'मेक-इन-इंडिया' कार्यक्रम में रूसी रक्षा उद्योग को शामिल करने के लिए बहुत ही सकारात्मक आधार प्रदान करता है. इन रायफलों को भारत में संयुक्त उद्यम भारत-रूस रायफल प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) के तहत बनाया जाएगा. इसकी स्थापना आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) और कलाशनीकोव कंसर्न तथा रोसोबोरेनेक्सपोर्ट के बीच हुई है.

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कोरवा आयुध फैक्ट्री में बनेंगी
खबर के मुताबिक, ओएफबी की आईआरआरपीएल में 50.5 प्रतिशत अंशधारिता होगी, जबकि कलाशनीकोव समूह की 42 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. रूस की सैन्य निर्यात के लिए सरकारी एजेंसी रोसोबोरेनेक्सपोर्ट की शेष 7.5 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. उत्तर प्रदेश में कोरवा आयुध फैक्टरी में 7.62×39 मिमी के इस रूसी हथियार का उत्पादन किया जाएगा, जिसका उदघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल किया था. प्रति रायफल करीब 1,100 डॉलर की लागत आने की उम्मीद है, जिसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण लागत और विनिर्माण इकाई की स्थापना भी शामिल है. इनसास रायफलों का इस्तेमाल 1996 से किया जा रहा है. उसमें जाम होने, हिमालय पर्वत पर अधिक ऊंचे स्थानों पर मैगजीन में समस्या आने जैसी परेशानियां पेश आ रही हैं.

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