भारत कई मोर्चों पर खतरों से घिरा, अमेरिकी रिपोर्ट में किया गया आगाह
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां आतंकी खतरों को रोकने में प्रभावी हैं, लेकिन अंतर-एजेंसी खुफिया और सूचना साझा करने में अंतर बना हुआ है.
highlights
- 2020 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म रिपोर्ट में भारत की चुनौतियों की चर्चा
- लश्कर, हिज्बुल, अल कायदा, जैश, आईएसआईएस हैं गहनता से सक्रिय
- देश के अंदरूनी हिस्सों में सक्रिय हैं उग्रवादी-अलगाववादी तत्व
नई दिल्ली:
अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से जारी 2020 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म रिपोर्ट में भारत पर आसन्न अंदरूनी-वाह्य खतरों को लेकर गंभीर खुलासे किए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन, आईएसआईएस और अलकायदा जैसे आतंकी संगठन भारतीय उपमहाद्वीप में सक्रिय हैं. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत और मध्य भारत उग्रवादी-आतंकी गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्र हैं. मोदी सरकार ने अपनी सीमाओं के भीतर प्रमुख आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए महत्वपूर्ण कोशिश की, लेकिन गंभीर खतरा बना हुआ है.
अंदर माओवाद बना है भारत के लिए खतरा
रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर में अल-कायदा से जुड़े संगठन अंसार गजवत-उल-हिंद के कई प्रमुख सदस्यों पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई का उदाहरण दिया गया है. हर साल प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट में कहा गया है ‘2020 में आतंकवाद ने भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत और मध्य भारत में माओवाद प्रभावित क्षेत्रों को प्रभावित किया.’ गौरतलब है कि सितंबर 2020 में अमेरिका और भारत ने आतंकवाद विरोधी संयुक्त कार्य समूह की 17वीं बैठक और तीसरी ‘यूएस-इंडिया डेजिग्नेशन डॉयलोग’ बैठक आयोजित की. दिसंबर में ही भारत ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ एक और क्वाड आतंक रोधी अभ्यास आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था. उग्रवादी समूह पूर्वोत्तर में सक्रिय हैं, लेकिन आतंकवादी हिंसा के स्तर में कमी आई है.
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भारतीय सुरक्षा एजेंसियां आतंकी खतरों को रोकने में प्रभावी
रिपोर्ट में देश में खालिस्तान समूहों की घटती उपस्थिति की का भी जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है, ‘सिख अलगाववादी आंदोलन में शामिल कई संगठन भारत की सीमाओं के भीतर हाल की महत्वपूर्ण गतिविधियों में शामिल नहीं रहे हैं.’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां आतंकी खतरों को रोकने में प्रभावी हैं, लेकिन अंतर-एजेंसी खुफिया और सूचना साझा करने में अंतर बना हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारतीय सुरक्षा बल गश्त करने और व्यापक समुद्री और भूमि सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए सीमित क्षमता का प्रदर्शन करते हैं.’
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