विपक्ष ने विदेश मामलों की संसदीय समिति की बैठक बुलाने को कहा था. इस पर कमेटी के हेड पी पी चौधरी का बयान सामने आया है . सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उनका कहना है कि जब भारत और चीन के मामले को प्रधानमंत्री सीधे देख रहे हैं तो कमेटी की मीटिंग को बुलाना नेशनल सेक्युरिटी के लिहाज से ठीक नहीं होगा. उन्होंने कहा कि मेरी सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अनुरोध है कि वो अपने नेताओं को गलत बयानी से रोकें. सर्वदलीय बैठक में पीएम सभी राजनीतिक दलों को इस मामले में बता चुके हैं, ऐसे में हम इस तरह की बैठक बुलाकर किस पर सवाल खड़ा करना चाहते हैं.
यह भी पढ़ें: जम्मू कश्मीर : अनंतनाग के जंगलों में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच शुरू हुई मुठभेड़
उन्होंने कहा, ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. हमें उसे राजनीति से अलग रखना चाहिए . इस मामले को पीएम डिफेंस मिनिस्टर और विदेश मंत्रालय देख रहा है. देश के सभी विपक्षी राजनीतिक दलों को पीएम पर यकीन करना चाहिए.
यह भी पढ़ें: यह तो हद ही हो गई...अब पाकिस्तान का नाम लेकर डरा रहा चीन, राष्ट्रवाद पर 'नसीहत'
बता दें, गलवान घाटी पर चीन के साथ एलएसी को लेकर हो रहे विवाद पर प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. गलवान घाटी सीमा पर चीन के साथ विवाद को लेकर पीएम मोदी ने सर्वदलीय बैठक में इस बात का दावा किया था कि हमारी जमीन में कोई न घुसा है, न घुसा था. इस बयान को आधार बनाकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी को घेरा. राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम ने चीन के आक्रामक रवैये के सामने देश की जमीन चीन के हवाले कर दी है इसके अलावा राहुल गांधी ने कई और सवाल भी खड़े किए. वहीं राहुल गांधी के आरोपों के बाद पीएमओ से पीएम मोदी के बयान को लेकर सफाई दी गई.
शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी के बयान को लेकर पीएमओ की ओर से कहा गया कि बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि इस बार चीनी सेना इस बार कहीं अधिक ताकत के साथ एलएसी पर आई. साथ ही पीएमओ ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा है कि 15 जून को गलवान में हिंसा हुई थी, क्योंकि चीनी सैनिक एलएसी पर अलग संरचना तैयार कर रहे थे. जब भारतीय सैनिकों को ने चीनी सैनिकों को इस तरह के कार्य को रोकने की कोशिश की तब चीनी सैनिकों ने इसे मानने से इनकार कर दिया. प्रधानमंत्री के बयान 15 जून को गलवान में हुई घटना पर आधारित थे, जिसमें 20 सैनिकों की जान चली गई थी.