मणिपुर में कोरोना के 14 नए मामले, कुल मामले बढ़कर 20 हुए
ग्लोबल टेनिस क्रिकेट लीग : पहली अंतरराष्ट्रीय टेनिस बॉल लीग शारजाह में होगी आयोजित
राजा रघुवंशी हत्याकांड : शिलांग पुलिस ने सोनम के व्यवहार की जुटाई जानकारी
बांग्लादेश : राजनीतिक दलों ने सुधारों पर 'राष्ट्रीय सहमति आयोग' के साथ चर्चा की
उत्तराखंड को डिजिटल राज्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल
अमेरिकी लक्ष्यों को पूरा करने पर केंद्रित है डोनाल्ड ट्रंप का ध्यान : जेडी वेंस
ईरान-इजराइल संघर्ष से बिहार की राजनीति तक न्यूज नेशन लेकर आया 10 बड़े अपडेट्स
राजस्थान के भरतपुर जिले में वज्रपात से दो लोगों की मौत
IND vs ENG: इस खिलाड़ी को इंग्लैंड में करना होगा कमाल, फ्लॉप होते ही टीम इंडिया से पत्ता कटना तय

तेज हुई कूटनीतिक जुबानी जंग, भारत ने कहा- नहीं मानते LAC पर चीन का 1959 प्रस्ताव

भारत की ओर से चीन को साफ कहा जा चुका है कि दोनों देशों के बीच एलएसी निर्धारण को लेकर दशकों से बातचीत की जा रही है. ऐसे में चीन कोई अन्य विवाद पैदा न करे.

भारत की ओर से चीन को साफ कहा जा चुका है कि दोनों देशों के बीच एलएसी निर्धारण को लेकर दशकों से बातचीत की जा रही है. ऐसे में चीन कोई अन्य विवाद पैदा न करे.

author-image
Kuldeep Singh
New Update
India China Face off

कूटनीतिक जुबानी जंग तेज, भारत बोला- नहीं मानते चीन का 1959 का प्रस्ताव( Photo Credit : फाइल फोटो)

भारत और चीन के बीच कई महीनों से एलएसी पर विवाद चल रहा है. अब सीमा विवाद को लेकर भारत व चीन के बीच नई कूटनीतिक जंग शुरु हो गई है. भारत ने चीन के इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है कि दोनों देशों के बीच वर्ष 1959 में निर्धारित एलएसी को लेकर बातचीत हो रही है. भारत की ओर से चीन को साफ कह दिया गया है कि दोनों देशों में दशकों से एलएसी की लेकर बैठकों का दौर चल रहा है, ऐसे में वह कोई नया विवाद पैदा न करे.

Advertisment

यह भी पढ़ेंः अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आज CBI कोर्ट सुनाएगी फैसला

चीन के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में लद्दाख को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है कि, ''चीन केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को भारत का हिस्सा नहीं मानता. भारत इस क्षेत्र में सैन्य उद्देश्य से ढांचागत विकास कर रहा है, हम इस पर जल्द से जल्द रोक लगाने की मांग करते हैं. वेनबिन ने यह भी कहा कि भारत ने इस हिस्से को गैर कानूनी तरीके से कब्जा कर रखा है. यह पहला मौका है जब चीन ने लद्दाख को लेकर इस तरह की स्पष्ट टिप्पणी की है और वह भी तब जब दोनो देशों की सेनाओं के बीच साढ़े चार महीने से तनाव है.

यह भी पढ़ेंः दिशा सालियान के मामले में न्यूज नेशन की खबर का असर, CBI करेगी मौत की जांच

इस मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्ताव ने बताया कि, भारत ने कभी भी वर्ष 1959 में चीन की तरफ से प्रस्तावित एलएसी को स्वीकार नहीं किया है. यह भारत की पुरानी राय है और इस बारे में चीनी पक्ष को भी लगातार बताया गया है. उन्होंने दोनो देशों के बीच वर्ष 1993 में एलएसी पर अमन-शांति बहाली करने के लिए किये गये समझौते, वर्ष 1996 में विश्वास बहाली के लिए किये गये समझौते, वर्ष 2005 में सीमा विवाद सुलझाने के लिए किया गया राजनीतिक समझौते में दोनो पक्षों ने एलएसी को स्वीकार किया है. वर्ष 2003 में दोनो पक्षों ने एलएसी को चिन्हित करने के लिए भी बातचीत का दौर शुरु किया था लेकिन चीन के रवैये की वजह से यह आगे नहीं बढ़ सका.

यह भी पढ़ेंः भारत ने एलएसी की 1959 की परिभाषा को कभी स्वीकार नहीं किया : सरकार

क्या था 1959 का प्रस्ताव
चीन के विदेश मंत्रालय ने पहले एक भारतीय समाचार पत्र में बयान दिया कि वह 1959 में पूर्व पीएम झाऊ एनलाई की तरफ से पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रस्तावित एलएसी को लेकर अभी भी प्रतिबद्ध है. भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को दिये गये जवाब से साफ है कि पूर्व पीएम नेहरू ने भी जिस प्रस्ताव को खारिज किया था भारत अब भी उसे स्वीकार नहीं करता है. वर्ष 1959 में दोनो तरफ की सेनाओं के बीच कोंगका ला में झड़प होने के बाद पूर्व पीएम झाऊ एनलाई ने भारतीय पीएम को पत्र लिखा था जिसमें दोनो तरफ की सेनाओं को मैकमोहन रेखा से 20-20 किलोमीटर दूर जाने की बात कही गई थी. इस तरह से दोनों सेनाओं के बीच 40 किलोमीटर की दूरी हो जाती. जब भी लद्दाख सेक्टर में दोनो देशों की सेनाओं के बीच झड़प होती है तब चीन वर्ष 1959 में प्रस्तावित एलएसी की बात करता है.

Source : News Nation Bureau

एलएसी चीन LAC 1959 Definition of LAC china
      
Advertisment