चीन तेजी से बढ़ा रहा वायुसेना की ताकत, LAC के पास 3 साल में दोगुना एयरबेस बनाए
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है तो टकराव को रोकने के लिए बैठकों का दौर भी चल रहा है. मगर बातचीत के दौर में चीन अपनी चालपट्टियों से बाज नहीं आ रहा है.
नई दिल्ली:
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है तो टकराव को रोकने के लिए बैठकों का दौर भी चल रहा है. मगर बातचीत के दौर में चीन अपनी चालपट्टियों से बाज नहीं आ रहा है. विस्तारवादी सोच रखने वाला चीन सरहद के नजदीक अपनी सैन्य ताकत को बहुत तेजी से बढ़ा रहा है. चीन अपनी वायुसेना को और मजबूत करने के लिए तेजी से एयरबेस को अपग्रेड कर रहा है.
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ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि पिछले 3 वर्षों में चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के नजदीक अपने एयरबेस की संख्या को दो दोगुना कर दिया है. तिब्बती पठार में चीनी सैन्य सुविधाओं और निर्माण के विस्तार से चीन ने 2017 डोकलाम संकट के बाद से भारतीय सीमा के साथ अपने सैन्य ढांचे का पर्याप्त विस्तार और उन्नयन किया है. इस गतिविधि में पिछले दो वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे विवादित लद्दाख क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेना के बीच 15 जून को घातक संघर्ष हुआ.
डोकलाम में भी चीन अपनी वायुसेना की ताकत बढ़ाने में जुटा है. बताया जाता है कि डोकलाम से 330 किमी दूर चीन अपने एयरबेस को अपग्रेड करने में लगा है. यहां हार्डेन्ड एयरक्राफ्ट शेल्टर तैयार हो रहे है, जो इस क्षेत्र में PLA की वायुसेना की ताकत को बढ़ाने का काम करेंगे. बताया जाता है कि चीन हवाई हमले के खतरे को कम करने के मकसद से डोकलाम के नजदीक एयरक्राफ्ट शेल्टर बना रहा है. इससे हवाई या सैटेलाइट रेकी से भी बचा जा सकता है.
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उल्लेखनीय है कि 15 जून को गालवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों में तनाव बना हुआ है. पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे में सेनाएं फिंगर 3 और फिंगर 4 के बीच आमने-सामने हैं, जहां दोनों देशों की सेनाओं द्वारा पिछले दिनों हवा में चेतावनी शॉट फायर किए गए. चीन ने सबसे पहले भड़काऊ सैन्य कदम उठाए और उसके बाद भारत ने भी इन स्थानों पर सैनिकों की तैनाती की. इन दोनों स्थानों पर, दोनों देशों के सैनिकों ने एक-दूसरे को डराने के लिए चेतावनी के शॉट फायर किए थे.
पीएलए के सैनिकों ने इस महीने की शुरुआत में फिंगर 3 और 4 के बीच के क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की, जिसके कारण हवा में लगभग 200 शॉटफायर हुए. इसके बाद दोनों सेनाएं कुछ सौ मीटर की दूरी पर हैं. भारत फिंगर 8 पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दावा करता है और फिंगर 4 तक क्षेत्र में रहा है, लेकिन यथास्थिति के एक स्पष्ट परिवर्तन में चीनी फिंगर 4 पर कैम्प लगा रहे हैं और फिंगर 5 और 8 के बीच किलेबंदी की है.
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