मोदी है तो मुमकिन है... सिर्फ 70 जिलों तक सिमटा माओवाद
माओवाद प्रभावित इलाकों के बारे में गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश से माओवाद अब पूरी तरह खत्म हो चुका है.
highlights
- सबसे ज्यादा राहत बिहार, ओडिशा और झारखंड को मिली
- नागरिकों औऱ सुरक्षा बलों की मृतक संख्या 8 फीसदी पर
- उत्तर प्रदेश से माओवाद पूरी तरह से हो गया है खत्म
नई दिल्ली:
इसे मोदी सरकार की एक और उपलब्धि कहा जाएगा कि बीते तीन दशकों में अब माओवाद का प्रभाव महज 70 जिलों तक सिमट कर रह गया है. ये 70 जिले 10 अलग-अलग राज्यों में हैं. सिमटते माओवाद के मामले में सबसे ज्यादा राहत बिहार, ओडिशा और झारखंड में देखने को मिली है. यही नहीं, माओवाद से प्रभावित 70 जिलों में से सिर्फ 25 जिलों को ही अधिक प्रभावित श्रेणी में रखा गया है, जो 8 राज्यों में स्थित हैं. माओवाद प्रभावित इलाकों के बारे में गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश से माओवाद अब पूरी तरह खत्म हो चुका है.
दो माह पहले 11 राज्यों में 90 जिले थे माओवाद से प्रभावित
गृह मंत्रालय की माओवाद पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि दो महीने पहले तक 11 राज्यों के 90 जिले माओवाद की चपेट में थे. इन जिलों का केंद्र ही सुरक्षा संबंधी खर्च वहन कर रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक इन 90 जिलों में से 30 माओवाद से सर्वाधिक प्रभावित सूची में आते थे, जो सात राज्यों में फैले थे. यही नहीं, माओवादी हिंसा में भी 70 फीसदी की गिरावट देखने में आई है. आंकड़ों की बात करें तो 2009 में माओवादी हिंसा की 2258 घटनाएं सामने आई थीं, जो 2020 में सिमट कर 665 घटनाओं पर आ गईं. माओवादी हिंसा की चपेट में आने से 2010 में एक हजार पांच लोगों की मौत हुई थी. माओवादी हिंसा से मौतों का आंकड़ा 2020 में सिमट कर 183 पर आ गया. यानी माओवादी हिंसा में मरने वाले नागरिकों औऱ सुरक्षा बलों की संख्या में भी 8 फीसदी की कमी देखी गई.
यह भी पढ़ेंः काबुल से भारतीय दूतावास के लोगों को ले जामनगर पहुंचा IAF विमान
माओवादी घटनाओ में 47 फीसदी कमी
माओवाद के घटते प्रभाव को देखते हुए गृह मंत्रालय ने एक जुलाई को नए सिरे से रिपोर्ट तैयार की. इसमें 70 जिलों के प्रभावित होने की बात सामने आई है. दस राज्यों के ये सभी 70 जिले केंद्र की एसआरआई योजना के तहत आते हैं यानी यहां सुरक्षा संबंधी खर्च केंद्र की मदद से चलता रहेगा. इस मद में माओवादी हिंसा से प्रभावित इलाकों में परिवहन, संचार जैसी सुविधाएं जुटाई जाती हैं. साथ ही आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी को आर्थिक मदद दी जाती है ताकि वह आगे का जीविकोपार्जन कर सके. यह नई रिपोर्ट साफ-साफ बताती है कि माओवादी घटनाओं में 47 फीसदी की कमी आई है. माओवादी के गढ़ कहे जाने वाले इलाकों में सुरक्षा बलों के कैंप चल रहे, जो स्थानीय लोगों को सुरक्षा प्रदान करते हुए माओवाद के प्रभाव को कम करने में मददगार बन रहे हैं. इसके अलावा माओवाद प्रभावित इलाकों में आधारभूत विकास की योजनाओं को भी तेजी से अमली जामा पहनाया जा रहा है. इनमें सड़क निर्माण के साथ-साथ दूरसंचार से जुड़ी सेवाओं का विस्तार देना शामिल है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी