IITF 2017: यूपी-उत्तराखंड पवेलियन में दिखी हथकरघा कारीगरों की जादूगरी
यूपी पवेलियन के अंदर घुसते ही यूपी का शोकेस यानी नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी है।
नई दिल्ली:
प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले की शुरुआत हो गई है, जो 19 से 27 नवंबर तक चलेगा। इस बार भारत सरकार की तरफ से सभी राज्यों को 'स्टार्ट-अप स्टैंडअप' की थीम दी गई है। लिहाजा उत्तर प्रदेश पवेलियन को भी स्टार्ट-अप यूपी, स्टैंडअप यूपी की थीम पर काम करना था, लेकिन राज्य का प्रवेश द्वार भगवा रंग में सराबोर नजर आया।
सीएम योगी का संसदीय क्षेत्र रहा गोरखपुर का गोरखधाम मंदिर हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस का बाबा विश्वनाथ मंदिर, इन दोनों मंदिरों की रिप्लिका के मध्य से निकलता है यूपी पवेलियन में जाने का रास्ता। हालांकि ताजमहल, इमामबाड़ा मथुरा के साथ सारनाथ के स्तूप को भी दिखाया गया है।
उत्तर प्रदेश पवेलियन में ये है खास
यूपी पवेलियन के अंदर घुसते ही यूपी का शोकेस यानी नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी है। इसके साथ ही यूपी आईसीडीसी का स्टॉल है, जो सरकारी योजनाओं और विकास का रास्ता दिखाता है।
भले ही उत्तर प्रदेश में ताजमहल को लेकर लंबा सियासी विवाद चला हो, लेकिन यूपी पर्यटन विभाग के स्टॉल में ताजमहल को ऊपर और विश्व के सबसे पुराने जीवित शहर वाराणसी को नीचे दिखाया गया है।
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बनारसी साड़ियों हैं खास
इसके बाद बात करते हैं यूपी के स्टॉल की तो सबसे पहले बनारसी साड़ियों का स्टॉल है। जहां बुनकरों से समझा कि एक बनारसी साड़ी को गढ़ने में तीन-चार महीनों का वक्त लग जाता है और उसकी कीमत भी एक हजार से शुरू हो कर दो लाख तक जाती है। जो अपने हाथ के बारीक काम की वजह से सूरत और बंगाली साड़ियों से बेहतर है।
भदोही के कालीन
जब बात कालीन की हो तो कश्मीर से पहले भदोही का जिक्र आता है, क्योंकि देश के 75 फीसदी कालीन उद्योग पर भदोही का ही कब्जा है। बनारसी साड़ियों की तरह ही जब कालीन निर्माताओं से बात की तो पता चला कि यहां भी कालीन बुनने में महीनों का सफर लगता है।
तांबे की जूतियां और सजावटी सामान
वहीं तांबे और कांसे के काम की बात करे तो सबसे पहले देश में जिस शहर का नाम आता है, वह है मुरादाबाद। मुरादाबाद के स्टॉल में तांबे की जूतियों से लेकर छोटे-छोटे कीमती और सजावटी सामान देखने को मिल जाएंगे।
चिकनकारी कपड़ों की डिमांड
अगर यूपी की राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां चिकन पहना भी जाता है और खाया भी जाता है। अगर पहनने वाले चिकनकारी कपड़ों को देखें तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में अलग-अलग तरीके, अलग-अलग नक्काशियों और अलग-अलग कार्य चिकन के कपड़े नजर आते हैं।
कन्नौज ने फैलाई सुगंध
कपड़ों के बाद अगर सुगंध की बात कर ली जाए तो आपको कन्नौज और कानपुर के स्टॉल जाना होगा। जहां ना सिर्फ अलग-अलग तरीके के इत्र, परफ्यूम और डियो मिलते हैं, बल्कि अलग-अलग सुगंध के साबुन भी मिल सकती है, जहां चॉकलेट से लेकर रविंदर और नींबू की महक तक के साबुन है।
सरकारी स्टॉलों की देवभूमि
जी हां इस बार उत्तराखंड पवेलियन में एक भी गैर सरकारी या निजी स्टॉल नहीं लगाए गए हैं। इस बार प्रगति मैदान में पुनर्निर्माण का काम चल रहा है, जिसकी वजह से सभी राज्यों को जगह की कमी मिली है। इसी वजह से उत्तराखंड को बेहद कम जगह मिली है, जिस कारण इस बार उत्तराखंड पवेलियन में एक भी निजी स्टॉल नहीं है।
हथकरघा कारीगरों की जादूगरी
हालांकि उत्तराखंड पर्यटन से लेकर हिमाद्रि प्रोडक्ट मिल सकते हैं। जहां आपको उत्तराखंड हथकरघा के काम नजर जाएंगे। अलग-अलग वस्तुओं पर पहाड़ी अंदाज में महीन काम किया गया। वहीं पर्यटन से एडवेंचर टूरिज्म को प्रमुखता से दिखाया गया।
स्टॉल्स में ये भी है खास
उत्तराखंड के अलग-अलग दाल और अनाज भी आप उत्तराखंड पवेलियन से खरीद सकते हैं। साथ ही खादी को किस तरीके से पहाड़ी अंदाज में बुना जा सकता है, वह भी महत्वपूर्ण है। यहां पर आप बिच्छू घास की गरम जैकेट भी खरीद सकते।
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