logo-image

रविशंकर प्रसाद का विपक्ष पर हमला, कहा-मार्शल नहीं आते तो उपसभापति पर शारीरिक हमला भी हो सकता

कृषि से संबंधित बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही यह कानून बन जाएगा. लेकिन इस बिल के खिलाफ विपक्षी दलों का हंगामा देखने को मिल रहा है. वहीं मोदी सरकार के मंत्री भी पलटवार कर रहे हैं.

Updated on: 21 Sep 2020, 07:34 PM

नई दिल्ली :

कृषि से संबंधित बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही यह कानून बन जाएगा. लेकिन इस बिल के खिलाफ विपक्षी दलों का हंगामा देखने को मिल रहा है. रविवार को राज्यसभा में विपक्ष ने हंगामा किया. उन्होंने उपसभापति का अनादर किया. जिसके बाद केंद्र सरकार के मंत्री विपक्षी दलों पर हमलावर हो गई है.

कृषि बिल और विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे कदम को लेकर सोमवार को मोदी सरकार के तीन मंत्रियों ने प्रेस वार्ता किया. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस चुनाव के समय किसानों के बिल को अपने मेनिफेस्टो में डालती है और जब हम लागू करते हैं तो वो माइक तोड़ते हैं.

राहुल जी को अपने नेताओं से बातचीत करना चाहिए

उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहले ही शुरू कर दी थी. कमलनाथ का सुझाव था कि किसान अपनी फसल की पैदावार को कहीं बेच सके ऐसा होना चाहिए. रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी से कहा कि पहले अपने नेताओं से बात कर लीजिए और पहले अपना मेनिफेस्टो लाओ. विरोध झूठा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का संबंध बिचौलियों से हैं.

इसे भी पढ़ें:मोदी सरकार का किसानों को बड़ा तोहफा, जानें 10 Points में फसलों की नई कीमत

उपसभापति पर शारीरिक हमला हो सकता था

रविवार को विपक्षी दलों ने राज्यसभा में उपसभापति का अनादर किया. इसे लेकर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस बात के पर्याप्त दृश्य प्रमाण उपलब्ध हैं कि यदि मार्शल (राज्यसभा) के उप सभापति हरिवंश जी की रक्षा नहीं करते, तो उन पर लगभग शारीरिक हमला होता.

और पढ़ें:रणदीप सुरजेवाला ने बताई देश की त्रासदी, जानिए क्यों कहा- नीम हकीम खतराए जान

विपक्ष ने किया शर्मनाक काम 

मोदी सरकार के तीन मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रहलाद जोशी और पीयूष गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विपक्ष के हंगामे का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष को वोट देना था तो उन्हें सीट पर जाना था. लेकिन 13 बार उपसभापति के अनुरोध पर भी वो नहीं गए. संसद के लिए शर्मनाक दिन था. इसकी जितनी निंदा की जाए कम है.